रिपोर्ट: अभिषेक जायसवाल
वाराणसी: भगवान भोले की नगरी काशी में गंगा ने विकराल रूप धारण कर लिया है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद घाट और मंदिर डूब गए हैं. इसके साथ ही काशी का महाश्मशान मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट भी जलमग्न हो गया है. मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियां जलमग्न होने के कारण एक ओर जहां छतों पर शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मोक्ष के लिए लोगों को घंटों इंतजार भी करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा मुश्किलों से दो चार शवयात्री हो रहे हैं क्योंकि घाट जलमग्न होने कारण उनके बैठने के लिए भी व्यवस्था नहीं है. मणिकर्णिका घाट के अलावा हरिश्चंद्र घाट पर भी कुछ ऐसा ही नजारा है. स्थानीय निवासी आनंद पांडेय ने बताया कि गंगा में उफान के कारण मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ छत पर ही अंतिम संस्कार हो रहा है जिसके कारण लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसके अलावा, स्थानीय दुकानदारों के व्यापार पर भी बाढ़ का असर देखने को मिल रहा है.
अब घटाव फिर भी परेशानियां
दरअसल, बुधवार की सुबह से वाराणसी में गंगा के जलस्तर में 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से घटाव हो रहा है. लेकिन बावजूद इसके घाट डूबे होने कारण महाश्मशान घाट पर लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, वाराणसी में गंगा का जलस्तर 65.3 मीटर है.
दूर-दूर से आते हैं शवयात्री
वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी के अलावा आस-पास के जिलों से भी शवयात्री अपने परिजनों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. हर दिन यहां लगभग 80 से 100 शवों का अंतिम संस्कार होता है.
काशी में मिलता है मोक्ष
काशी में मोक्ष को लेकर मान्यता है कि यहां मृत्यु के उपरांत भगवान शंकर खुद मृतक शरीर के कान में तारक मंत्र देते हैं, जिससे मनुष्यों को सभी योनियों से मुक्ति मिल जाती है.
मणिकर्णिका घाट
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Tags: Uttar pradesh news, Varanasi news
FIRST PUBLISHED : August 04, 2022, 10:26 IST