प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Kashi Vishwanath Temple and Gyanvapi Mosque Dispute) को लेकर दाखिल याचिकाओं की मंगलवार यानी 29 मार्च से नियमित सुनवाई शुरू होगी. वाराणसी (Varanasi) के अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की ओर से दाखिल याचिका व अन्य याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ करेगी. विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वकील विजय शंकर रस्तोगी ने अतिरिक्त लिखित बहस दाखिल की. उन्होंने कहा कि याची ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 डी के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उस पर बल न देकर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है.
बता दें कि हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगा रखी है. वाराणसी की एक अदालत ने 8 अप्रैल, 2021 को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का समग्र भौतिक सर्वेक्षण कराने के लिए आदेश दिया था. कोर्ट ने दो हिंदू, दो मुस्लिम सदस्यों और एक पुरातत्व विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया था. गौरतलब है कि मूल वाद वाराणसी में 1991 में दायर किया गया था, जिसमें प्राचीन मंदिर को बहाल करने का अनुरोध किया गया था. मौजूदा समय में उस स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है.
दोनों पक्षों की ये है दलील
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर वाद बिंदु तय किए थे और 29 मार्च से नियमित सुनवाई के आदेश दिया. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की दलील है कि प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू है, लिहाजा याचिका की पोषणीयता नहीं। उधर इस मामले में काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष का कहना है कि संपत्ति लार्ड विश्वेश्वर मंदिर की है, जो सतयुग से विद्यमान है. ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर का कब्जा है. पूजा अर्चना जारी है. स्वयं भू लार्ड विश्वेश्वर स्वयं विराजमान हैं, जो कि 15वीं सदी के मंदिर का हिस्सा है. जमीन की प्रकृति धार्मिक है. इसलिए प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 इस पर लागू नहीं होगा.
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