बजट का सीधा असर आम आदमी पर भी असर पड़ना तय है. जानकारों के मुताबिक आर्थिक सेहत बिगड़ने का खामियाजा आम आदमी की जेब पर पड़ेगा. इसकी कीमत भी उसे चुकानी पड़ेगी. आने वाले बजट से पहले गहलोत सरकार अपनी वित्तीय सेहत की छमाही रिपोर्ट सार्वजनिक कर राज्य की माली हालत को बयां कर चुकी है
राजस्व में बढ़ोतरी उत्साहजनक नहीं है
अगर हम चीजों का मूल्यांकन करें तो वैट, परिवहन और खनन पर इसका सीधा असर पड़ेगा. छमाही रिपोर्ट से संकेत मिलते हैं फरवरी-मार्च में संभावित बजट में राज्य सरकार राजस्व संग्रहण के कड़े फैसले ले सकती है. इससे आम आदमी की जेब ढीली हो सकती है. राज्य का वित्त विभाग बजट की तैयारियों लगा हुआ है. हालांकि लॉकडाउन डाउन के बाद सरकार के राजस्व में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन यह राजस्व घाटे को उबारने के लिए उत्साहजनक नहीं है.आप पर सीधा यह असर पड़ सकता है
– वैट की दरें बढ़ने से पेट्रोल-डीजल एक बार फिर महंगा हो सकता है.
– पेट्रोल डीजल महंगे होने से यात्री किराए में बढ़ोतरी संभव है.
– आबकारी शुल्क में बढ़ोतरी से शराब के दामों में बढ़ोतरी संभव है.
– सिगरेट, बीडी, पान मसाला के ऊपर टैक्स बढ़ोतरी संभव है.
– स्टांप शुल्क में बढ़ोतरी से जमीन और भवन की रजिस्ट्री कराना महंगा हो सकता है.
– विकास योजनाओं पर कैंची चल सकती है.
– वित्त विभाग सरकारी नौकरियों को हरी झंडी देने में विलंब कर सकता है
– इससे बेरोजगारों के सपनों पर पानी फिरने की संभावनायें हैं.
– कड़े निर्णय लेने से पर्यटन और औद्योगिक निवेश प्रभावित हो सकता है.
– केंद्रीय सहयोग से राजस्थान में संचालित योजनाओं में विलंब की संभावायें प्रबल हैं
– हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आर्थिक मदद पर भी पड़ेगा असर
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