हाइलाइट्स
शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग के साहस की कहानियां
गौतम ने एमबीए करने के बाद भी सेना में जाने का फैसला किया था.
गोरखपुर. कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस का परिचय देने वाले शहीद गौतम गुरुंग ने जो मिसाल कायम की उसकी कहानी आज भी गोरखपुर में गूंजती है. कारगिल के तंगधार सेक्टर में देश की रक्षा में शहीद हुए गौतम गुरूंग पर पूरे देश को गर्व हैं. कारगिल के तंगधार सेक्टर में अपनी रेजीमेंट के जवानों के साथ देश की रक्षा करते हुए 4 अगस्त 1998 को गौतम गुरुंग गंभीर रूप से घायल हो गये थे. अगले दिन यानि कि 5 अगस्त की सुबह उनके शहादत की सूचना आई. जब गौतम गुरूंग शहीद हुए तब वो उस वक्त गोरखपुर के जीआरडी में तैनात थे. उनके शहीद होने के बाद जीआरडी के पास कूंडाघाट चौराहे पर उनकी मूर्ति लगायी गयी. जहां पर आज बड़ी संख्या में लोगों ने शहीद गौतम गुरुंग को श्रद्धांजलि दी.
गौतम गुरुंग के पिता भी सेना के रिटायर्ड अधिकारी है. आज उन्होंने अपने बेटे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमें गर्व है कि हमारे बेटे ने देश के लिए जान दी है. मेरे बेटे की उम्र जब पारिवारिक सांसारिक मौज मस्ती करने की थी तब देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया, जिस पर हमें गर्व है. हमारे बेटे के साथ गोरखपुर जिले के 26 लोगों ने देश की रक्षा करते हुए शहादत दी है. आज बड़े हर्षोल्लास का दिन है की सभी के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है, उन्होंने यह भी कहा कि बेटे के पेंशन का पैसे से ट्रस्ट चला कर के लोगों की सेवा कर रहा हूं. ट्रस्ट के माध्यम से युवाओं को लड़कियों को गोरखा रेजीमेंट के बारे बताने का भी काम करता हूं.
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बता दें कि 23 अगस्त 1973 को गौतम गुरुंग का जन्म देहरादून में हुआ था. शहीद गौतम गुरुंग के पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग का कहना है की उनमें बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का जूनून था. इनका परिवार मूलरूप से नेपाल का रहने वाला है लेकिन इनकी कई पीढ़ी करीब 100 साल से देहरादून में ही रहती है. गौतम ने एमबीए करने के बाद भी सेना में जाने का फैसला किया था. 3/4 गोरखा रायफल्स में कमीशन और पहली तैनाती जम्मू कश्मीर में मिली थी.
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Tags: CM Yogi, Gorakhpur news, Indian army, Kargil war, UP news
FIRST PUBLISHED : August 05, 2022, 12:31 IST