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आवव पढ़व ,गुनव.. अइंठे गोइंठे पार म बइठे
लालबुझक्कड़ के घर ओखर सबे संगवारी मन बइठे हें.सब अपन-अपन मुहूँ म मास्क लगाय हें.घर म घला सामाजिक दूरी के पालन करत हें.खबरीलाल किहिस-‘आज राजनीति के बात ल छोड़ के हम छत्तीसगढी भाखा के‘जनउला’ल बूझे के कोशिश करबो .एकक कर के‘जनउला’ प्रस्तुत करव.’ लालबुझक्कड़ किहिस-‘पहिली जनउला मोर रही.अउ पूछ बइठिस- ‘अइंठे गोइंठे पार म बइठे’ ये का ये? बने सोच बिचार के उत्तर देव.झट गोबरदास किहिस-येखर उत्तर हे–पगड़ी या पागा.सबो झन खलखला के हाँसिन.लालबुझक्कड़ किहिस-‘पागा’ह मुड़े-मुड़ाय, अइंठे-गोंइठे रहिथे.मुड़ उपर माड़थे तिही ल पार जानो.अब मोर पारी हे-फूले-फूले रिंगी चिंगी,फर फरे लमडोरा.’ये का ये?गोबरदास किहिस-में बतावत हंव.मुनगा के पेड़ म नान-नान फूल लगथे.अउ ओखर फर हर लबडेना बरोबर लम्हरी-लम्हरी(लंबा-लंबा)होथे.येखर उत्तर हे मुनगा(सहजन).’तरी बटलोही,उपर डंडा,नइ जानही तेला परही डंडा
अब गोबरदास पूछिस- ‘तरी बटलोही,उपर डंडा,नइ जानही तेला परही डंडा.’ बताव का ये? लालबुझक्कड़ उत्तर दि- ‘जिमीकदा’ जेला हिन्दी म जमींकंद केहे जथे.भूइंया के भीतरी म जिमीकांदा के तना होथे.एखर जर ह भूइंया के भीतरी डाहर फूल के बटलोही बरोबर हो जथे.पोंगा ह बाहिर निकलथे ओमा पाना होथे. जिमीकाँदा ल भूइंया ले खन के बाहिर निकाले जथे.एखर साग बड़ सुवादिष्ट होथे. सुख-दुःख के कार्यक्रम म इहाँ जिमीकंदा के साग रांधना जरूरी माने जथे. जिमीकाँदा के चटनी घलो डारे जथे.छत्तीसगढ़ म कइ जगा येखर खेती होथे.गाँव गँवइ के प्राय;सबे झन मन अपन घर के बखरी म जिमीकाँदा बोथें .’
दिखे म गोल-गोल,रंग ओखर लाल-लाल अउ लूगरा पहिने सौ पचास
खबरीलाल पूछिस-‘दिखे म गोल-गोल,रंग ओखर लाल-लाल अउ लूगरा पहिने सौ पचास.जानो का ये? ’लालबुझक्कड़ झट किहिस‘गोंदली(प्याज) ताय.अउ सब ताली बजा के उत्तर के सुवागत करिन. लालबुझक्कड़ खुदे किहिस- ‘गोंदली आम जरूवत के चीज आय.गोल-गोल होथे. रंग लाल ,प्याज के कई परत होथे.’ टेड़गा बेड़गा रस्ता, बीच म कुआं’ये जनउला ल पूछिस गोबरदास. उत्तर दिस शेखचिल्ली.ओहा बतइस के एमा ‘कान‘ के संकेत हे.खबरीलाल पूछिस- ‘नानचुन बियारा म खीरा बीजा. ये ’का ये ?’ एखर उत्तर आय-दांत.अब कइसे सुनो-मुंहूँ ह बियारा के प्रतीक आय अउ खीरा बीजा दांत के प्रतीक आय.’
लोहा कस पेड़ म ,सोना कस फूल ,चांदी कस फर म ,पथरा कस झूल
अब गोबरदास से नइ रहे गिस. ओहा पूछिस-‘लोहा कस पेड़ म ,सोना कस फूल ,चांदी कस फर म ,पथरा कस झूल.’ सब दिमाग लगइंन फेर उत्तर कोनो नइ दे पइंन. गोबरदास खुदे बतइस-बंबरी रूख(बबूल) एखर उत्तर बंबरी आय.बंबरी के रूख हर मजबूत होथे.ओखर फूल पिंवरा होथे अउ फर ह पथरा बरोबर कड़ा लालबुझक्कड़ किहिस- ‘अब मैं एकदम सरल जनउला पूछत हंव-एक फूल फुले, सौ फर फरे.बताओ उत्तर .’ गोबरदास जवाब दिस-‘एक ठन फूल के सौ फर !बड़ा बिचित्र बात हे, ..हाँ ..हाँ सुरता अइस केरा (केला)’ ’लालबुझक्कड़ किहिस-‘वाह वाह गोबरदास तें ह त आज खटाखट उत्तर देत हस .’कटोरा उपर कटोरा बेटा बाप से भी गोरा .’ये का ये ?’ झट गोबरदास उत्तर दिस-‘नरियर(नारियल) नरियर के उपर बूच होथे .बूच ल निकालबे तहाँ ले खोल्टी मिलथे.खोल्टी के बाद मीठ खुरहोरी भेला होथे .ओखर भीतरी म सफेद चमक दिखथे .’
पानी के तीर-तीर चर बोकरा,पानी अटागे मर बोकरा
‘हरियर भाजी,साग म न भात म ,खाय बर सुवाद म.’ये ह शेखचिल्ली के जनउला रिहिस .’लालबुझक्कड़ किहिस बता दे गोबर भाई.गोबरदास किहिस-‘अइसन का भाजी आय जेन साग-भात म खाय के काम नइ आय सुवाद म काम आथे?सोचिस त मन म उत्तर अइस’-पान’ सही उत्तर होही.’ लालबुझक्कड़ ओला शाबासी दिस.’पानी के तीर-तीर चर बोकरा,पानी अटागे मर बोकरा. ये जनउला खबरीलाल ह पूछिस .झट गोबरदास किहिस-‘दीया’येखर उत्तर आय.कइसे सुनो-दीया म तेल के राहत ले बाती जलथे. तेल ख़तम त बाती जल जथे.बाती तेल भरोसा हे.तेल सिराय ले दीया बुता जथे. तहाँ दीया के घलो कदर नइ होय.
एक निसेनी के बार बारा पक्ती
‘छुए म नरम,ओढ़े म गरम, अउ धरे म शरम.’ये जनउला के उत्तर का ये ?’ शेखचिल्ली पूछिस. कोनो नइ बता पइन तब शेखचिल्ली खुद बतइस‘कथरी’.कथरी छुए म नरम होथे अउ ओढ़े ले गरम फेर एला रखे म शरम के अनुभव होथे.’ अब गोबरदास पूछिस-‘एक निसेनी के बार बारा पक्ती.’ उत्तर बताव. लालबुझक्कड़ तुरत उत्तर दिस-‘छाता’.एमा बारा कांड़ी होथे .
लाल मुहूँ के छोकरी,हरियर फीता गंथाय….
लालबुझक्कड़ खूब मजा लेवत पूछिस- ‘नानकन लईका दु कौर खाय, बोडरी ल दबाय ले रस्ता देखाय.’ ये काये ? गोबरदास उत्तर दिस ‘टार्च ताय’ टार्च म दु सेल लगथे, ओखर बटन ल दबाय ले टार्च के रोशनी म रस्ता दिखथे.लालबुझक्कड़ फेर पूछिस –‘लाल मुहूँ के छोकरी,हरियर फीता गंथाय.निकले कहूं बजार म त हाथों हाथ बेचाय.’ गोबरदास उत्तर दिस ‘पताल’ या बंगाला (टमाटर).वो किहिस ये जनउला के संभावना एखर इशारा ल समझे बर परही के पताल ह लाल होथे.ओखर उपर हरियर संरचना होथे,बजार म ये ह तुरत बेचा जथे.’
पर्रा भर लाई गने न सिराई
शेखचिल्ली पूछिस‘पर्रा भर लाई गने न सिराई.ये का ये ?’इहाँ पर्रा हर अगास (आकाश)के अउ लाई ह चंदैनी के प्रतीक आय.उत्तर चंदैन (चांदनी).’ छत्तीसगढी भाखा म अइसन जाउला के भरमार हे .ये ह कल्पना शक्ति के विकास करथे अउ भाखा गियान ल बढ़े म सहायक हे.