ज्ञानवापी विवादः एक बार फिर से मस्जिद का सर्वे करवाना चाहता है मंदिर पक्ष-बोला-पिछली बार कुछ चीजें छूट गई थी

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हाइलाइट्स

माना जा रहा है कि 22 सितंबर से पहले मस्जिद पक्ष इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे लेने की कोशिश में है.
जिला जज की अदालत ने इस मामले में 22 सितंबर की तारीख सुनवाई के लिए लगाई है.

वाराणसी. ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश के  वाराणसी की जिला अदालत से आए फैसले से उत्साहित मंदिर पक्ष ज्ञानवापी में एक और सर्वे की तैयारी कर रहा है. ये मांग पहले सर्वे के बाद से ही मंदिर पक्ष की थी, लेकिन गोपनीयता तय नहीं होने के कारण मामला फंसा था. अब जबकि मस्जिद पक्ष की आपत्ति खारिज करते हुए जिला जज ने मामले को सुनवाई योग्य माना है. ऐसे में मंदिर पक्ष एक और कमीशन की कार्यवाही के जरिए उन जगहों का सर्वे और वीडियोग्राफी कराने की मांग अदालत से रखेगा, जो पिछली बार अधूरा छूट गया था.

पहली बार सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर ने पांच दिन तक सर्वे और वीडियोग्राफी कराई थी. इस कार्यवाही में नमाज पढ़ने वाले स्थान, गुंबद और वजूखाने का सर्वे हुआ था. उसी सर्वे के दौरान शिवलिंग नुमा आकृति वजूखाने के पानी में मिली थी, जिसे मंदिर पक्ष आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग कह रहा है तो मस्जिद पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है.

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता सुभाषनंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि जब दूसरा सर्वे होगा, उससे तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगा. पिछली बार कुछ जगहों का सर्वे नहीं हो पाया था. कई जगह ईंट और पत्थर की दीवार से दरवाजे बंद करने जैसा प्रतीत हुआ. ऐसे ही दो तहखाने हैं. इन तहखानों के अंदर सर्वे जरूरी है.

वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाषनंदन चतुर्वेदी कहते हैं कि शिवलिंग के नीचे अगर अरघा मिल जाएगा तो साफ हो जाएगा कि यहीं बाबा विश्वनाथ मंडप और मंदिर है. फिलहाल, जिला जज की अदालत ने इस मामले में 22 सितंबर की तारीख सुनवाई के लिए लगाई है.
माना जा रहा है कि 22 सितंबर से पहले मस्जिद पक्ष इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे लेने की कोशिश में है, लेकिन वहीं, दूसरी ओर, मंदिर पक्ष भी हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल कर सकता है. कैविएट दाखिल करने का मतलब ये है कि मस्जिद पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट कोई फैसला देने से पहले मंदिर पक्ष को भी सुनेगा. मंदिर पक्ष पोषनीयता पर वहीं दलीलें हाईकोर्ट में रखेगा, जो उसने जिला जज की अदालत में रखी थीं. मंदिर पक्ष को यकीन है कि हाईकोर्ट भी जिला जज की अदालत की तरह उनकी दलीलों और साक्ष्यों को सुनकर फैसला यथावत रखेगा. अब तो ये आने वाले दिनों में तय होगा कि ये कानूनी लड़ाई किस दिशा में आगे बढ़ती है.

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