झांसी की रचना त्रिपाठी ने कहा ‘वह शादी नहीं करेंगी’, वजह जानेंगे तो करेंगे तारीफ

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रिपोर्ट: शाश्वत सिंह

झांसी. कहावत है कि प्यार एक ऐसी चीज है जिसे व्यक्त करने के लिए भाषा और जुबान की जरूरत नहीं होती. इस बात को झांसी की रचना त्रिपाठी ने सच करके दिखाया है. वह झांसी के 35 बेजुबानों की मां की तरह देखभाल कर रही हैं. उन्‍होंने अपने घर में 35 कुत्तों को पाल रखा है. पेशे से शिक्षिका रचना त्रिपाठी बताती हैं कि जब वह 12 वर्ष की थीं तो उन्होंने एक छोटे डॉग को गोद लेने के बारे में सोचा. जब वह उस डॉग को लेकर आ रही थीं तो उन्होंने सड़क पर दो स्ट्रीट डॉग देखे. उनको देखकर रचना के मन में दया आई और वह उन दोनों को भी अपने घर ले आईं.

वहीं, 12 साल की उम्र से शुरू हुआ यह सिलसिला आज तक बदस्तूर जारी है. आज रचना ने अपने घर में 35 कुत्तों को संरक्षण दिया हुआ है. वह उन्हें फरी फ्रेंड्स के नाम से बुलाती हैं. इन 35 में से कुछ डॉग्स ऐसे भी हैं जिन्हें वह दिल्ली से लेकर आई थीं जब वहां नौकरी करती थीं. झांसी आने के बाद रचना ने घर से ही काम करने का फैसला लिया. यह फैसला उन्होंने इसलिए लिया ताकि अपने फरी फ्रेंड्स को पूरा समय दे सकें.

परिवार ने दिया पूरा साथ
रचना बताती हैं कि उनके इस नेक काम में उनका उनका परिवार हर समय उनके साथ खड़ा रहता है. उन्होंने बताया कि इन डॉग्स को पालने में हर माह औसतन 70,000 रुपए का खर्च आ जाता है.डॉग्स के भोजन, रख रखाव, वैक्सीनेशन पर काफी खर्च आता है. इसमें उनकी अपनी तनख्वाह के अलावा उनके पिता की पेंशन और भाई की कमाई भी लग जाती है. परिवार के सदस्यों ने जिम्मेदारी आपस में बांट ली है, ताकि पूरा बोझ एक व्यक्ति के ऊपर ना पड़े.

बेजुबान जानवर ही हैं बच्चे
रचना के पड़ोसियों का कहना है कि शुरुआत में तो काफी समस्या आती थी, लेकिन अब सब कुछ ठीक है. रचना भी अपने पड़ोसियों के प्रति शुक्रगुजार हैं कि वह उनका पूरा साथ देते हैं और परिस्थितियों को समझते हैं. रचना के मन में डॉग्स के प्रति प्यार और समर्पण इस हद तक था कि उन्होंने शादी भी नहीं की. रचना कहती हैं कि अपने फरी फ्रेंड्स को समय देने के लिए उन्होंने जीवन में शादी ना करने का फैसला लिया. वह कहती हैं कि अब यह बेजुबान जानवर ही उनके बच्चे हैं.

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