नई दिल्ली. नोएडा के सुपरटेक ट्वीन टावर (SupertechTwin Tower) को गिराने के लिए टीएनटी विस्फोटक (TNT explosive) यानी ट्राईनाइट्रोटोल्यूइन (trinitrotoluene) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी मदद से केवल 9 मिनट में ही दोनों टावर ढह जाएंगे. सवाल यह उठता है कि इसे गिराने में टीएनटी विस्फोटक का ही इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है, जबकि पहाड़ों को तोड़ने के लिए जिलेटिन का इस्तेमाल किया जाता है. आइये जानें दोनों रसायन क्या फर्क है और किस जगह पर कौन से रसायन का इस्तेमाल करना चाहिए.
एक्सपर्ट और सेना के रिटायर कर्नल दीपक शरण बताते हैं कि इस तरह के मामले में दो तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाता है. पहला जिलेटिन और दूसरा टीएनटी विस्फोटक. पहाड़ों को तोड़ने के लिए जिलेटिन का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि पहाड़ों में यह पता नहीं होता है कि अंदर कहां-कहां पर फ्रैक्चर होता है और वो टूटकर कहां तक जा सकता है. इसके अलावा इसमें केवल पत्थर होता है. इसलिए सुराग कर थोड़ा जिलेटिन पहाड़ के अंदर डाल देते हैं और विस्फोट कर जगह बनाकर प्रॉपर तरीके से जिलेटिन से विस्फोट कराते हैं. इस तरह पत्थर तोड़कर सुरंग या रोड बनाते हैं.
वहीं, किसी भी निर्माण में पता होता है कि इसमें क्या क्या है. इसी तरह नोएडा के ट्वीन टॉवर में पता है कि इसमें कंक्रीट, सीमेंट और सरिया मिक्स हैं. इसलिए जिलेटिन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. ऐसे मामलों में टीएनटी विस्फोटक यानी ट्राईनाइट्रोटोल्यूइन से इमारत ढहाना ही सही है. क्योंकि इसके इमारत के अंदर इस्तेमाल की गयी कंक्रीट,सीमेंट और सरिया की क्षमता का पता होता है और इंजीनियर इनका अध्ययन कर उतनी ही क्षमता का विस्फोटक लगाकर ध्वस्त कर सकते हैं. जिससे कम से कम नुकसान हो.
यही वजह है कि ट्वीन टावर में टीएनटी का इस्तेमाल किया जा रहा है. एक्सपर्ट के अनुसार टीएनटी विस्फोट 100 से 150 की साबुन टिक्की की तरह होता है. इससे जरूरत के अनुसार ज्वाइंट्स में रखकर विस्फोट कराया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2022, 16:42 IST