(रिपोर्ट – शाश्वत सिंह)
झांसी:-प्यार, संगीत और भोजन भाषा की मोहताज नहीं होते.इस बात को सच कर दिखाया है तमिलनाडु के मणिमारन ने.मणिमारन झांसी के सदर बाजार में डोसा और इडली की दुकान लगाते हैं.उनकी दुकान का नाम अन्ना डोसा है.यह दुकान पूरे झांसी में मशहूर है.लोग दूर-दूर से अन्ना के हाथ का बना डोसा खाने आते हैं.
मामा के साथ काम की तलाश में आए थे झांसी
मणिमारन ने बताया कि 28 साल पहले वह अपने मामा के साथ यहां आए थे.काम की तलाश में वह लोग मदुरई केअपने गांव से निकले थे.झांसी में इस दुकान की शुरुआत उनके मामा द्वारा की गई थी.मामा की मृत्यु के पश्चात उन्होंने इस दुकान को संभाला. 28 वर्षों में डोसा बनाने की ना तोविधि बदली गई और ना ही स्वाद.
शुरुआती दिनों में भाषा बनी दिक्कत
मणिमारन बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उन्हें कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा.पहले वह और उनके मामा एक ठेले पर यह दुकान लगाया करते थे.भाषा भी एक बड़ी समस्या थी, क्योंकि उन्हें हिंदी नहीं आती थी.समय के साथ उन्होंने थोड़ी बहुत हिंदी सीखी.इससे उनके व्यापार को भी काफी बढ़ावा मिला.लोगों ने अन्ना के डोसा को इतना पसंद किया कि आज वह एक रेस्टोरेंट चलाते हैं.
यहां मिलती है दक्षिण भारत की खुशबू
दुकान पर आए एक ग्राहक रमेश बताते हैं कि वह पिछले 15 सालों से यहां डोसा और इडली खाने आते रहते हैं.उन्होंने बताया कि इतने वर्षों में इनका स्वाद एक जैसा ही रहा है.दक्षिण भारत के खाने की जो खुशबू यहां मिलती है वह कहीं और नहीं मिलती.
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FIRST PUBLISHED : May 11, 2022, 11:51 IST