नई दिल्ली. ताजमहल (Taj Mahal) को लेकर जितने मुंह उतनी बातें. किसी का कहना है कि ताज के तहखाने में कमरे बने हैं और कमरों के अंदर कुछ छिपाकर रखा गया है. वहीं कुछ का दावा है कि ताज का ऊपरी हिस्सा तो मुगलों (Mugals) ने ही बनवाया, लेकिन उसके नीचे किसी और इमारत का हिस्सा है जिसे मुगलों ने तोड़ दिया था. लेकिन आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के एक रिटायर्ड अफसर ने एक तस्वीर बनाकर बताने की कोशिश की है कि ताज के तहखाने में क्या-क्या है. यह थ्योरी सिर्फ एएसआई के अफसर की ही नहीं है. इसके पीछे सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च ऑफ इंडिया (CBRI), रुढ़की की कई जांच रिपोर्ट भी शामिल हैं. यह रिपोर्ट साबित करती है कि ताज के ग्राउंड लेवल से लेकर 88 मीटर की गहराई तक सिर्फ मिट्टी, कंकड़ और पत्थर की बुनियाद है.
ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन किताब से होता है तहखाने का खुलासा
ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन किताब के पेज नंबर 85 से लेकर 90 तक में ताजमहल की बुनियाद के बारे बताया गया है. पेज नंबर 86 पर ताज की बुनियाद का डायग्राम दिखाते हुए बताया गया है कि कैसे 4 लेयर में अलग-अलग मेटेरियल से ताज की बुनियाद भरी गई है. किस मेटेरियल की परत कितनी मोटी है यह भी बताया गया है. जैसे सबसे पहले ईट की चिनाई है. ईट की चिनाई 10 मीटर की है. इसके बाद दूसरे नंबर पर चिकने पत्थर जो गंगा और यमुना नदी में पाए जाते हैं उनको बुनियाद में बने कुओं में चिना गया है.
चिकने पत्थरों की चिनाई इस तरह से जगह देकर की गई है कि अगर बुनियाद में यमुना का पानी आ जाता है तो वो कुओं के अंदर चला जाए. हर एक कुएं के बीच 3 मीटर मोटी ईट की दीवार है. इसके बाद 13.2 मीटर की मोटाई तक चिकनी मिट्टी भरी गई है. एक बार फिर रेत के साथ मिलाकर चिकनी मिट्टी को 9.2 मीटर तक भरा गया है. वहीं ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की मदद से जब रुढ़की की टीम ने बुनियाद के बारे में और जांच की तो सामने आया कि सबसे नीचे 65.6 मीटर की मोटी परत प्राकृतिक मिट्टी की है.
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डी. दयालन ने लिखी है ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन
जानकारों की मानें तो साल 2003 से 2006 तक डी. दयालन एएसआई के आगरा सर्किल में सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट के पद पर रहे थे. डी. दयालन ने ताजमहल पर 2009 में एक किताब भी लिखी है. उनकी किताब का नाम ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन है. किताब में ताजमहल की बुनियाद के बारे में भी बड़े ही विस्तार से बात की गई है.
किताब में ताज की बुनियाद का डायग्राम दिखाते हुए 6 पन्नों में सिर्फ बुनियाद के बारे में ही जानकारी दी गई है. खास बात यह है कि 1990 से लेकर 2005 तक जब-जब सीबीआरआई, रुढ़की और एएसआई ने मिलकर ताज की बुनियाद को लेकर जांच की है उसका किताब में हवाला दिया गया है.
जानें कौन-क्या कहता है
एएसआई, आगरा सर्किल से रिटायर्ड इंजीनियर एमसी शर्मा का कहना है, “मैं खुद 2006-07 में एएसआई की टीम के साथ तहखाने में काम करवा चुका हूं. वहां सिर्फ पिलर हैं. रुढ़की की टीम में भी मैं शामिल रहा हूं.”
वहीं सीनियर गाइड शम्शउद्दीन का कहना है, “अगर जाने-माने देश और विदेश के ट्रैवलर और हिस्टोरियन को पढ़ा जाए तो साफ मालूम होता है कि ताजमहल जितना ऊपर दिखाई देता है उससे कहीं ज्यादा वो जमीन के नीचे भी है. उसकी बुनियाद कई लेयर की है. इसलिए उसकी बुनियाद में किसी और चीज के होने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है.”
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Tags: Agra news, High court, Taj mahal, Temple
FIRST PUBLISHED : May 13, 2022, 14:12 IST