नई दिल्ली. दिल्ली सरकार के पश्चिम जिले के नांगलोई इलाके से गत जनवरी माह में 51 नाबालिगों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया था, जिसमें 10 लड़के और 41 लड़कियां शामिल थीं. वहीं, अब दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने 11 बाल श्रमिकों को उनके कार्य स्थल से मुक्त कराया गया. डीसीपीसीआर का 2023 तक दिल्ली को बाल-श्रम मुक्त बनाना लक्ष्य भी निर्धारित किया है.
डीसीपीसीआर ने समयपुर बादली पुलिस थाने (Samaypur Badli Police Station) के अधिकार क्षेत्र के तहत 7 स्थानों पर छापेमारी और बचाव अभियान चलाया. इस दौरान मुक्त कराये गये 11 बच्चे उत्तरी दिल्ली जिले के अलीपुर क्षेत्र की बेकरियों, खरैत मशीन इकाइयों और ऑटो केंद्र इकाइयों में बंधुआ मजदूरी के रूप में खतरनाक स्थिति में काम कर रहे थे.
एक बच्चे को एक रिहायशी जगह से मुक्त कराया गया, जहां वह एक घरेलू कामगार के रूप में काम कर रहा था. मुक्त कराए गए बच्चों को कोविड 19 (COVID 19) महामारी का ध्यान रखते हुए सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक आघात से अवगत कराया गया.
छापेमारी दल का संचालन एसडीएम अलीपुर अजीत सिंह ठाकुर, समयपुर बादली पुलिस दल, श्रम विभाग, उत्तर पश्चिम जिला, सहयोग केयर फॉर यू संगठन और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) द्वारा किया गया था. सभी बच्चों को संबंधित सीडीएमओ की देखरेख में चिकित्सा देखभाल और कोविड परीक्षण प्रदान किया गया और संबंधित बाल कल्याण समिति-एक्स, अलीपुर, के समक्ष पेश किए जाने के बाद देखभाल और सुरक्षा के लिए चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में रखा गया.
मुक्त कराए गए सभी 11 बच्चे नाबालिग थे, जिसमें सबसे कम उम्र का बच्चा 8 साल का पाया गया. उत्तरी जिले के डीएम द्वारा तैनात सिविल डिफेंस टीम ने ऑपरेशन के दौरान आवश्यक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करते हुए शानदार काम किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मुक्त कराये गए सभी बच्चे परिसर में सुरक्षित महसूस करें और उनकी अच्छी तरह से देखभाल की जाए. उनका काम बेहद सराहनीय है.
28 जनवरी को पश्चिम जिला डीएम ने 51 नाबालिगों को कराया था मुक्त
गत 28 जनवरी को आयोजित एक अन्य बचाव अभियान में, पश्चिम जिले की डीएम नेहा बंसल और पंजाबी बाग के एसडीएम निशांत बोध के नेतृत्व में 51 नाबालिगों को सफलतापूर्वक मुक्त कराया गया था. इन 51 मासूम बच्चों में से 10 लड़के थे और बाकी 41 लड़कियां थीं. बचाव अभियान पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई क्षेत्र के आरा, जूता और स्क्रैप इकाइयों में किया गया था.
डीसीपीसीआर ने दोनों छापे और बचाव अभियानों में समन्वय की भूमिका निभाई. दोनों बचाव कार्यों में बच्चे ज्यादातर 12 घंटे से अधिक काम करते पाए गए और उन्हें न्यूनतम 100-150 रुपए प्रतिदिन मिलते थे.
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि 2023 तक दिल्ली बाल-श्रम मुक्त बनाने के आयोग के लक्ष्य को उचित सामाजिक पुनर्निवेश और मुक्त कराए गए बच्चों का पुनर्वास लोगों के सामूहिक प्रयासों के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता हैै.
बाल-श्रम मुक्त शहर बनाने को व्हाट्सएप नंबर पर दें सहयोग
2023 तक दिल्ली को बाल-श्रम मुक्त शहर बनाने के अपने प्रयासों में, डीसीपीसीआर दिल्ली के नागरिकों से समर्थन की तलाश कर रहा है और इसके लिए एक व्हाट्सएप नंबर (9599001855) लॉन्च किया है, जहाँ बाल श्रमिकों की जानकारी साझा की जा सकती है और रिपोर्टिंग करने वाले नागरिकों को सही जानकारी साझा करने के लिए सम्मानित किया जाएगा.