बुधवार को डीजी हेल्थ डॉक्टर अमृता उप्रेती के आवास परिसर से एक कौवा मरा पाया गया.
अभी तक उत्तराखंड के किसी वेटलैंड में तो बर्ड फ़्लू का कोई केस सामने नहीं आया है.
वेटलैंड और प्रवासी पक्षी
उत्तराखंड में भी वैसे तो 80 से अधिक वेटलैंड हैं लेकिन इनमें चार बड़े वेटलैंड हैं. ये हैं- आसन वेटलैंड, झिलमिल झील वेटलैंड, पवलगढ़ वेटलैंड, नैना देवी हिमालय वेटलैंड. इनमें हज़ारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. इसके अलावा उत्तराखंड में शीतकाल में उच्च हिमालली क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में पक्षी निचले क्षेत्रों की ओर रुख करते हैं जो अक्सर जंगलों को अपना ठिकाना बनाते हैं.
भारतीय वन्यजीव संस्थान के डायरेक्टर एवं पक्षी विशेषज्ञ डॉक्टर धनंजय मोहन का कहना है उत्तराखंड में सेंट्रल एशिया और साइबेरिया से भी बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी वेटलैंड की ओर रुख करते हैं. इसके अलावा सिंचाई और बिजली परियोजनाओं के लिए बनाए गए जलाशयों को भी प्रवासी पक्षी अपना डेरा बनाते हैं.घटनाक्रम पर WII की नज़र
राहत की बात ये है कि अभी तक उत्तराखंड के किसी वेटलैंड में तो बर्ड फ़्लू का कोई केस सामने नहीं आया है. लेकिन, देहरादून के शहरी इलाकों में कौवों के मरने के केस आने से हड़कंप है. बुधवार को भी डीजी हेल्थ डॉक्टर अमृता उप्रेती के आवास परिसर से एक कौवा मरा पाया गया.
बता दें कि एवियन इन्फ्लूएंजा नामक का यह वायरस पक्षी से मुर्गे या अन्य जानवरों और संपर्क में आए मनुष्यों तक को अपनी चपेट में ले लेता है. बर्ड फ़्लू का वायरस आंख, नाक और मुंह के ज़रिए मनुष्यों के शरीर में प्रवेश कर जाता है. संक्रमित पक्षी से दूरी, नॉनवेज से परहेज़ इससे बचाव के उपाय हैं.
भारतीय वन्य जीव संस्थान का कहना है कि वह पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है. अध्ययन के लिए साइंटिस्टों की एक टीम हिमाचल के पौंग वेटलैंड भेजी गई है.
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