ममता त्रिपाठी
नोएडा. सामाजिक कुरीतियों, अपराध को कम करने में सबसे ज्यादा कारगर कोई अस्त्र है तो वो शिक्षा है. शिक्षा को हर एक तक पहुंचाने की कोशिश में नोएडा पुलिस (Noida Police) का ‘नन्हें परिंदे’ कार्यक्रम के जरिए किया जा रहा प्रयास सराहनीय है. इससे समाज के वंचित वर्ग के गरीब बच्चे शिक्षित तो हो ही रहे हैं साथ ही शहर में ज्यूवेनाइल (juveniles) क्राइम भी लगभग शून्य हो चुका है.
उत्तर प्रदेश की शो विंडो सिटी कहे जाने वाले नोएडा की सड़कों पर पांच मोबाइल वैन दौड़ती दिखाई देती हैं जिन पर लिखा है ‘नन्हें परिंदे.’ जिसमें लगातार गाना बजता है ‘हम हैं नन्हें परिंदें, ऊंची उड़ान लगाएंगे, शिक्षा से जुड़ते जाएंगे’. 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी और पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह की पहल पर नन्हें परिंदे कार्यक्रम की शुरुआत हुई जिसमें सड़कों पर कूड़ा बीनने वाले, ट्रैफिक लाइट पर भीख मांगने वाले, फैक्ट्री और ढाबों पर काम करने वाले और जो बच्चे छोटे मोटे अपराधों में पकड़े गए थे, को जोड़ा गया.
‘बदलाव के लिए शिक्षा ऐसा सशक्त माध्यम’
पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह का मानना है, “बालश्रम सभ्य समाज के लिए श्राप है, शिक्षा ऐसा सशक्त माध्यम है जिसके जरिए बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. मां-बाप पहले बच्चों को पढ़ने भेजने के लिए राजी नहीं होते थे मगर हमारे पुलिस अधिकारियों ने घर घर जाकर उन्हें समझाया और टीम की मेहनत ही है कि 2 बच्चों से शुरू हुआ ये सफर आज 1586 बच्चों तक पहुंच चुका है. मोबाइल एजुकेशन वैन के जरिए दी जा रही शिक्षा अपनी तरह का पहला कानसेप्ट है और ये काफी सफल भी रहा है. इस कार्यक्रम में 7-17 साल तक की उम्र के बच्चे शामिल हैं. 180 बच्चे ऐसे हैं जो कोविड में स्कूल से ड्राप आउट हो गए थे उन्हें दोबारा स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है. परिणाम आधारित शिक्षा (OBE) के तहत उन्हें सर्टिफिकेट भी मिलेगा जिसका फायदा उन्हें आगे पढ़ने या रोजगार हासिल करने में मिलेगा. कई बार हमारे अधिकारी भी इन बच्चों को पढ़ाते हैं. इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी सफलता ये है कि ज्यूवेनाइल क्राइम शहर से लगभग खत्म हो चुका है.”
बच्चों के घरों के पास जाती है मोबाइल वैन
इस कार्यक्रम के नोडल अफसर एसीपी रजनीश वर्मा कहते हैं कि नोएडा में 16 जगहों को चिह्नित किया गया है जिसमें 12 नोएडा में और 4 ग्रेटर नोएडा में हैं. इसमें मोबाइल वैन बच्चों के घरों के पास ही जाती है और सुरक्षा की दृष्टि से पास की किसी पुलिस चौकी पर ही बच्चों को इकटठा करके पढ़ाने का काम किया जाता है. वैन की ड्राइवर भी महिला हैं. इस मोबाइल वैन में बच्चों के पढ़ने लिखने का सारा सामान, खाने पीने की चीजें और दवाएं रहती हैं. जीपीएस सिस्टम से भी इस बस को जोड़ा हुआ है. कमिश्नर सर हर 15 दिन पर नन्हें परिंदे की समीक्षा करते हैं और जो खामियां होती हैं उनको ठीक करवाते हैं.
पुलिस अफसर बनना चाहती है मीनाक्षी
8 साल की मीनाक्षी होशियारपुर में रहती है, चार भाई-बहन हैं, मां बाप मजदूरी करते हैं. वह कहती है कि नन्हें परिंदे का गाना सुनते ही वो भागते हुए पढ़ने आती है. उसका सपना पुलिस अफसर बनना है. सोनू अपने पिता के साथ दुकान में काम करता था, कहता है कि पढ़ने के लिए काम से छुटटी लेकर आता है. आपको बता दें कि सड़क के किनारे बच्चों की पढ़ने वाली जगह को पहले सैनेटाइज किया जाता है. फिर कुर्सी टेबल लगा कर पढ़ाई शुरू की जाती है. मैडम बच्चों को पढ़ाती हैं. उसके बाद उन्हें कुछ खाने को भी दिया जाता है.
एचसीएल के सीएसआर फंड से मिलता है पैसा
बच्चों की हर पंद्रह दिन पर मेडिकल जांच होती है साथ ही उन्हें मल्टी विटामिन और अन्य दवाईयां भी दी जाती हैं. चेतना संस्था के फाउंडर संजय गुप्ता कहते हैं, “नन्हें परिंदे भारत में अपनी तरह का पहला कान्सेप्ट है जिसमें पुलिस, एचसीएल फाउंडेशन और चेतना एक साथ मिलकर बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. इस कार्यक्रम को चलाने में जो खर्च आता है वो एचसीएल के सीएसआर फंड की तरफ से मिलता है. पांचों मोबाइल वैन भी एचसीएल फाउंडेशन की तरफ से ही दी गई हैं, साथ ही खाने पीने का सामान, कुर्सी टेबल, स्टेशनरी का सारा सामान सब कुछ शामिल है”.
योगी सरकार की सोच को आगे बढ़ा रही नोएडा पुलिस
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाल श्रमिक विद्या योजना और स्कूल चलो अभियान की शुरुआत भी इसी सोच के साथ की है ताकि आर्थिक रूप से वंचित बच्चों को शिक्षा के जरिए मुख्यधारा से जोड़ा जा सके. नोएडा पुलिस योगी सरकार की उसी मंशा को नन्हे परिंदे के जरिए पूरा करने की कोशिश कर रही है, वो भी सरकारी खजाने पर कोई भार डाले बिना. योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सांसदों, विधायकों और अपने अफसरों से भी अपील की है कि वो सरकारी स्कूलों को गोद लें ताकि देश का भविष्य उज्जवल हो सके. फिलहाल नोएडा पुलिस कमिश्नर का ‘नन्हें परिंदे’ गरीब बच्चों के जीवन में एक आशा की किरण लेकर आया है. प्रदेश के अन्य अफसरों को भी इस मॉडल पर काम करने की जरूरत है.
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Tags: Juveniles, Noida Police
FIRST PUBLISHED : June 09, 2022, 16:52 IST