छात्र संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) की ओर से मौजूदा सत्र में पीजी में छात्रों को मेरिट के आधार पर दाखिला के मामले में अब एचपीयू के डीन ऑफ स्टडीज प्रोफेसर अरविंद कालिया फंसते हुए नजर आ रहे हैं. छात्र संगठनों ने साफ कहा है कि अगर कार्रवाई नहीं होती है तो आने वाले समय में आंदोलन किया जाएगा.
विशाल वर्मा का कहना है कि सभी फैसले प्रो.कालिया ने खुद लिए. किसी अन्य जिम्मेदार ओहदे पर बैठे लोगों के साथ चर्चा भी नहीं की. अब प्रशासन ने उन्हें डीएस के पद से नहीं हटाया तो एबीवीपी आंदोलन करेगी. वहीं दूसरी ओर एनएसयूआई के महासचिव यासिन भट्ट ने कहा कि प्रो.कालिया ने न केवल एडमिश्न बल्कि भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधलियां की हैं. एचपीयू में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और भर्तियों में योग्यता को दरकिनार कर फर्जीवाड़े के जरिए अयोग्य लोगों की नियुक्तियां की जा रही हैं. एनएसयूआई ने उन्हें तुरंत डीएस के पद से हटाने की मांग की है.
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डीएस और वीसी ने साधी चुप्पीइस मामले पर कुलपति प्रो.सिकंदर कुमार और प्रो.अरविंद कालिया ने चुप्पी साध ली है. दोनों ने कैमरे पर आने से इनकार कर दिया. वीसी ने सिर्फ इतना कहा कि इस विषय पर बोलना ठीक नहीं है तो वहीं प्रो. कालिया ने कहा कि वो पीआरओ के जरिए अपनी बात कहेंगे.
हाईकोर्ट ने ये कहा
इस विषय पर बीते सप्ताह हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने आदेश दिए कि एचपीयू प्रशासन एक हफ्ते के भीतर पूरा मामला कार्यकारिणी परिषद के समक्ष रखे. 3 हफ्तों के भीतर इस मामले पर उचित फैसला ले और दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही ये पूरा मामला एक सप्ताह के भीतर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के समक्ष भी रखने के आदेश दिए है. हालांकि, छात्रों के भविष्य को देखते हुए कोर्ट ने इस सत्र में हुए दाखिलों को रद्द करने से इनकार कर दिया है.
मामले में याचिकाकर्ता शिवम ठाकुर ने इन दाखिलों को रद्द करने की मांग की थी. एचपीयू प्रशासन ने दलील दी थी कि कोरोना महामारी को देखते हुए और यूजीसी की गाइडलाइन और समय सीमा को ध्यान में रखकर शैक्षिणक सत्र 2020-2021 के लिए कुछ कोर्सों के दाखिले एंट्रेंस एग्जाम की बजाय यूजी की अंतिम परीक्षा में मेरिट के आधार पर दिए गए है.
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