उत्तराखंड के जंगल में लगी आग का असर पर्यावरण पर भी पड़ा रहा है.
उत्तराखंड (Uttarakhand) के जंगल में लगी आग अब पर्यावरण के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो रहा है. धुएं की वजह से हवा में ब्लैक कार्बन (Black Carbon) की मात्रा काफी बढ़ गई है. इसका बच्चों और बुजुर्गों पर खतरनाक असर हो सकता है.
अल्मोड़ा. उत्तराखंड (Uttarakhand) में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं. आग से जहां करोड़ों की वन संपदा राख हो रही है, वहीं मानव जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है. बुजुर्ग लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. चारों तरफ धुंध छाई हुई है. जंगलों की आग (Forest Fire) के चलते पहाड़ों में धुंध छाई हुई है. इस आग से ब्लैक कार्बन रिलीज हो रहा है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब है. वैज्ञानिकों की अगर मानें तो वातावरण में ब्लैक कार्बन की मात्रा दोगुनी से भी अधिक हो गयी है. जबकि टीएसपी, पीएम 10 भी वातावरण में डेढ़ गुना तक बढ़ गया है.
जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेसी कुनियाल का कहना है कि टीएसपी. पीएम 10 और ब्लैक कार्बन में जंगलों में आग से दोगुनी वृद्धि हुई है जो भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. ब्लैक कार्बन बुजुर्ग लोगों के लिए सबसे अधिक हानिकारक है.
बढ़ रही है आग उत्तराखंड में चीड़ के ही जंगल जल रहे ऐसा नहीं है. अब तो आग बांज के जंगलों की तरफ भी बढ़ चली है. इससे पेयजल स्रोतों को नुकसान पहुंच रहा है. जब बारिश होगी तो उससे जल स्रोतों में जंगलों की जली हुई राख पहुंचेगी, जो पानी को प्रदूषित करेगी. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. किरीट कुमार का कहना है कि जब जंगल जल रहे है इससे पानी के प्राकृतिक स्रोत भी समाप्त हो रहे है. इसके साथ ही जब भविष्य में बारिश भी होगी तो जमीन में तेजी से पानी बह जायेगा और गंदा पानी स्रोतों तक जाएगा. अब लोगों को जल्द बारिश का इंतज़ार है. अगर जल्दी बारिश नहीं हुई तो इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
कोर्ट ने लिया संज्ञान
उत्तराखंड के जंगलों में भड़क रही आग पर नैनीताल हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने कहा है कि आग अगर हर साल लगती है तो सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठती? हाईकोर्ट ने कहा कि इस आग के धुएं से कोरोना मरीजों को भी दिक्कतें हो सकती हैं. इतना ही नहीं आग को नियंत्रण करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं इसके बारे में कोर्ट ने पूछा है. आपको बता दें कि सोमवार को आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की भी मदद ली गई.
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हाईकोर्ट फॉरेस्ट फायर को लेकर गंभीर दिखा और चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट को तलब किया है. उन्हें कल यानी बुधवार को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. वहीं आग बुझाने में हेलीकॉप्टर से ली जा रही मदद की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साझा किया जिसमें भारतीय वायु सेना के एमआई हेलीकॉप्टर टिहरी झील से पानी लेने के बाद उड़ान भरते दिखाई दिए.
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