भ्रष्टाचार के मामले में पहले एसीबी के राडार और अब गिरफ्त में आये आईपीएस मनीष अग्रवाल पर दौसा पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए सड़क निर्माण कंपनी से 38,00,000 रुपये की घूस मांगने का आरोप है. इनमें चार लाख रुपये मासिक बंधी के हिसाब से सात महीनों के 28 लाख रुपये की मंथली और दस लाख रुपये एक केस को रफा-दफा करने के मामले में रिश्वत मांगने का आरोप है.
ये संगीन आरोप भी लगे हैं आईपीएस पर
वहीं एक और कंपनी से बतौर रिश्वत 31 लाख रुपये वसूलने का भी आरोप है. इसके अलावा पोक्सो एक्ट के एक केस को रफा-दफा करने के लिए 25 लाख रुपये की घूस मांगने का भी उन पर आरोप है. इसकी जांच चल रही है. मनीष अग्रवाल के खिलाफ जम्मू कश्मीर में भी घूस लेने के आरोपों की पुष्टि हुई है. एसीबी ने भ्रष्टाचार के इन सभी मामलों के अहम तथ्य जुटाये हैं.
कोर्ट में पेश करने से पूर्व कोविड टेस्ट भी कराया जायेगा
गिरफ्तार आईपीएस मनीष अग्रवाल को कोर्ट में पेश करने से पूर्व आज उनका कोविड टेस्ट भी कराया जायेगा. एसीबी के दो अधिकारियों की टीम आरोपी आईपीएस अग्रवाल से पूछताछ करने में जुटी है. एसीबी पिछले करीब 20 दिनों से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूतों को जुटाने में जुटी थी. करीब 20 दिन पहले एसीबी ने मनीष अग्रवाल के लिये दलाली करने वाले नीरज मीणा को दबोचा था. उससे हुई पूछताछ आईपीएस मनीष अग्रवाल के नाम का खुलासा होने के बाद एसीबी ने मनीष अग्रवाल के मोबाइल जब्त कर लिये थे. उसके बाद आरोपों की पुष्टि होने पर एसीबी ने मनीष अग्रवाल को मंगलवार को दोपहर में गिरफ्तार कर लिया था.