गाजियाबाद. कम ब्याज दर में तुरंत लोन के चक्कर में आप कहीं अपनी जमा पूंजी न गवां बैठे. एनसीआर में ऐसे ही साइबर क्रिमिनल्स को साइबर सेल गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ठगों ने अभी तक देशभर के अलग-अलग शहरों से 200 करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं. साइबर सेल द्वारा पकड़े गए चारों ठगों में दो दिल्ली और दो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. इन ठगों पर केवल गाजियाबाद में ही 12 मामले दर्ज हैं.
ठगों के पास से 247 डेबिट कार्ड, 14 बैंक पासबुक, 195 चेकबुक, 12 पैन कार्ड, 18 आधार कार्ड, 15 मोबाइल, 11 सिम कार्ड, सात वोटर आइडी कार्ड, एक प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) मशीन, दो क्यूआर कोड, छह मुहर, एक लेपटाप और एक ब्रेजा कार मिली है. एसपी क्राइम डा. दीक्षा शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी दिल्ली के केशवपुरम निवासी मोहम्मद उस्मान व उसका भाई फुरकान उर्फ सोनू, प्रतापगढ़ के गडवारा निवासी सुनील कुमार यादव ओर पीलीभीत के बरखेड़ा में सिमरिया ताराचंद गांव निवासी बलराम गंगवार हैं.
चारों देशभर में सक्रिय इस गिरोह के लिए फर्जी पते पर खाते खुलवाते थे. ठग फेसबुक, वाट्सएप या मैसेज के जरिये मिनटों में ऋण स्वीकृत होने और रकम खाते में ट्रांसफर होने का झांसा देकर एप डाउनलोड कराते थे. जालसाजों ने ऐसे सैकड़ों एप बना रखे हैं. एप लोड करते ही गैलरी व कांटेक्ट्स समेत सभी की परमीशन मांगते थे . इसके बाद खाते में रखे रुपये भी उड़ा देते थे.
लोन लेने से पहले देखें
लोन एप कंपनी रैपिडरूपी के बिजनेस हेड एनएस रोज के अनुसार कंपनी की वेबसाइट पर जाकर डिटेल देखें, क्योंकि आरबीआई की गाइड लाइन के अनुसार वेबसाइट बनाना अनिवार्य है. यह भी देखें कि कंपनी कितनी पुरानी है, उसकी शर्तें क्या हैं. वेबसाइट से फोन नंबर लें और कस्टमरकेयर से बात करें. संभव हो तो कार्यालय जाएं. वास्तविक लोन देने वाली कंपनी पहले व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री देखती हैं. अगर एप तुरंत लोन देने की बात कह रहा है, तो सावधान हो जाएं. एप पर क्रेडिट रिपोर्ट फीस या अन्य फीस का खुलासा न करें, उनके बचें. एप पर लोगों के रिव्यू जरूर देखें. यह जरूर सुनिश्चित कर लें, उस कंपनी के पास लाइसेंस है या नहीं.
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Tags: Cyber Crime, Ghaziabad News
FIRST PUBLISHED : June 21, 2022, 10:13 IST