सियासी प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने का माध्यम हैं फूलपुर! क्या नीतिश कुमार यहां से लड़ेंगे चुनाव? 

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नई दिल्ली. 2024 में विपक्ष के तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, इसकी कवायद शुरू हो चुकी है. कभी शरद पवार की पहल पर बैठक हो रही है तो कभी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पहल पर. ममता बनर्जी भी विपक्ष के नेताओं से मिल रही है, पीएम पद के उम्मीदवारी के लिए लिए अरविन्द केजरीवाल भी पीछे नहीं है.

अब इस लिस्ट में नया नाम शामिल हुआ है. ये नाम है बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का. जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहकर बिहार मे सीएम हुआ करते थे, तब पीएम पद को लेकर इनके नाम की चर्चा तक नहीं थी, लेकिन जब से बीजेपी छोड़ आरजेडी के साथ बिहार मे उनकी सरकार बनी है तब से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि नीतिश कुमार पीएम पद की रेस में है, कहा ये भी जा रहा है कि आरजेडी के साथ सरकार बनाने के वक़्त ही इस बात पर सहमति हो चुकी है कि अब नीतिश कुमार दिल्ली की राजनीति करेंगे और तेजस्वी राज्य की राजनीति.

पिछले दिनों नीतीश कुमार दिल्ली आये हुए थे, तब उन्होंने इसी विपक्षी एकता को लेकर एक के बाद एक कई विपक्ष के बड़े नेताओं से मुलाक़ात की थी. यानी नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा हिलोरे ले रही है. हालांकि अब सवाल उठता है कि क्या विपक्ष नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट हो पाएगी. क्या जो 2019 मे नहीं हो पाया, 2024 में सम्भव हो पायेगा. इस बात को इस तरह समझा जा सकता है अभी अभी विपक्षी खेमे में एक नहीं कई पीएम पद के उम्मीदवार के दावेदार हैं.

इसमें पहला नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आता है. पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं. राहुल गांधी की कोशिश कांग्रेस को एक बार फिर मजबूत स्थिति में लाने की है. अभी कांग्रेस बीजेपी के बाद देश में सबसे बड़ी पार्टी है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की स्वीकार्यता दूसरी विपक्षी पार्टियों से ज़्यादा है.

अब दूसरा नाम ममता बनर्जी का आता है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है और पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पूरजोर कोशिश के बावजूद चुनाव में मात दे चुकी हैं. ममता बनर्जी देश कि बड़ी नेता के तौर पर जानी जाती है, लेकिन अभी पश्चिम बंगाल से हटकर दूसरे राज्यों मे उनकी राजनीतिक पंहुच ना के बराबर है. हालांकि इस लिस्ट में आगे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भी नाम है, जो विपक्ष के साझा उम्मीदवार बनाये जा सकते हैं.

लेकिन सवाल फिर से वही है कि क्या विपक्ष के साझा उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाई जा सकती है. क्या ममता बनर्जी, नीतीश कुमार के नाम का समर्थन करेंगी, क्या ममता बनर्जी के नाम पर कांग्रेस तैयार हो पायेगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की महत्वकांक्षा का क्या दूसरी विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल पायेगा. ये ऐसे सवाल है, जो 2019 लोकसभा चुनाव के वक़्त मे भी थे, उस वक़्त भी इस हल नहीं मिला था और जिस तरह की सियासी समीकरण है अभी है, ऐसे मे इस वक़्त भी इसपर विपक्ष सफल हो पायेगा, इसकी सम्भावना कम ही दिखती है.

तो फिर इस बार लोकसभा चुनाव में नया क्या हो सकता है. इस बात के संकेत जेडीयू के नेता ललन सिंह के बयान से झलक से मिलती है. ललन सिंह ने नीतीश कुमार को फूलपुर से चुनाव लड़ने के संकते देकर सियासी भूचाल ला दी है. इस बयान का सभी अपने अपने तरीके से विश्लेषण कर रहे हैं. आखिर नीतीश कुमार का फूलपुर या यूपी के किसी लोकसभा सीट से लड़ने के पीछे की मंशा क्या है? 2019 की तरह इस बार भी सम्भावना कम है कि विपक्ष पीएम पद के लिए किसी एक नाम पर सहमति जता दे.

ऐसे में पीएम पद के जो दावेदार उनकी महत्वक्षा खत्म नहीं हो जाएगी. ऐसे मे विपक्षी खेमे में ही एक होड़ देखने को मिल सकती है कि कौन नेता बीजेपी और ख़ास तौर पर नरेंद्र मोदी और बीजेपी को मजबूत चुनौती दे सकते है. यानी विपक्ष में ही खुद को बड़ा दिखाने की कवायद देखी जा सकती है. सम्भावना है कि कोई नेता गुजरात जाकर वहां से चुनाव लड़कर खुद को सबसे बड़ी चुनौती साबित करे या फिर पीएम के गढ़ बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़कर खुद को विपक्ष का नेता साबित करने की कोशिश करें. हालांकि वाराणसी से चुनाव लड़ने की जहमत शयाद ही कोई नेता उठाने की कोशिश करें, क्योंकि अरविन्द केजरीवाल 2014 मे ऐसा कर चुके है, परिणाम सबके सामने हैं.

ऐसे मे विकल्प ये है कि वाराणसी के पास की किसी सीट से चुनाव लड़कर ये दिखाने की कोशिश की जा सकती है कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी को उसके गढ़ मे हराया जा सकता है. फूलपुर के नाम से इसकी शुरुआत हो गई है. फूलपुर वाराणसी से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है. फूलपुर कि जातीय, सामाजिक, राजनितिक और भौगोलिक समीकरण कुछ हद तक नीतीश कुमार के पक्ष मे जा सकता है. दूसरी बात ये है कि नीतीश कुमार यूपी के इस क्षेत्र से चुनाव लड़कर सत्ता पक्ष नहीं बल्कि विपक्ष को ये साफ सन्देश दे सकते हैं कि बीजेपी के गढ़ में बीजेपी को हराने की कुबत केवल उनमे है और ये करिश्मा नीतीश कुमार कर सकते हैं. हालांकि अभी इसकी शुरुआत है आगे विपक्ष का नेता कौन होगा इसकी प्रतिस्पर्धा के कई नायक सियासी पिच मे देखने को मिलेंगें.

Tags: Delhi news, Indian politics



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