घायल बाघ को इलाज के लिए वन विहार भोपाल भेज दिया गया है. हाथी पर बैठे बाघ को तलाशते वन विभाग के कर्मचारी.
हरदा (Harda) जिले के वन क्षेत्र में 9 जनवरी से आतंक मचाये हुए नर बाघ (Tiger) को वन विभाग ने केलझिरी के जंगल की बीट क्रमांक 189 से रेस्क्यू कर पकड़ लिया है
हरदा जिले के वन क्षेत्र में 9 जनवरी से आतंक मचाये हुए नर बाघ को वन विभाग ने केलझिरी के जंगल की बीट क्रमांक 189 से रेस्क्यू कर पकड़ लिया है. तीन दिनों से सतपुड़ा नेशनल पार्क और हरदा जिला वन विभाग की टीम बाघ को खोज रही थी.इस बाघ ने एक गांव वाले पर हमला कर दिया था. ग्रामीण ने अपने बचाव में बाघ के सिर पर वार कर दिया था, इससे वो घायल हो गया था. उसके सिर जंगल में जो खून टपका था उससे वन कर्मियो को खोजबीन में मदद मिली.ड्रोन की मदद से टाइगर को पहाड़ी पर बैठा देखा गया था. कैमरे से ही बाघ के सिर पर चोट होने की बात पता लगी थी.
बाघ की दहशत
इस बाघ की दहशत फैली हुई थी. वन विभाग ने 11 जनवरी से सर्चिंग शुरू की थी. सबसे पहले ड्रोन कैमरे की मदद से बाघ की लोकेशन तलाश कर नजर रखी गयी. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम आने के बाद तीन हाथी लाए गए.आज बाघ की घेराबंदी की गयी और फिर उसे डॉटगन से बेहोश कर जाल फेंका गया. बाघ के रेस्क्यू के पहले पूरे इलाके को सील कर दिया गया था. वन विभाग के कर्मचारियों के अलावा बाकी किसी के भी आने-जाने पर बैन लगा दिया गया था.3 हाथी, 30 वनकर्मी, 3दिन और 3 घंटे
हरदा जिले के रहटगांव वन परिक्षेत्र में मूवमेंट कर रहे बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग को तीन दिन लगे. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू के लिए कुल तीस लोगो की टीम बनाई गयी थी. बाघ के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए हाथी सुरक्षित माना जाता है. इसलिए तीन प्रशिक्षित हाथी स्मिता,लक्ष्मी और सिद्धनाथ को लाया गया. तीन हाथियों पर कुल छह लोगों की टीम सवार हुईं. तीन घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाघ को सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया.रहटगांव रेंज के रेंजर मुकेश रघुवंशी ने बताया कि टाइगर कभी हाथी पर हमला नहीं करता. वो सिर्फ हाथी से डरता है.
बाघ मूवमेंट का एरिया
विभाग के सीसीएफ एचसी गुप्ता ने बताया कि हरदा डिवीजन, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और मेलघाट टाइगर रिजर्व कॉरिडोर होने से बाघ की मूवमेंट होती रहती है.जब बाघ ने दो दिन पहले ग्रामीण पर हमला किया था उसी समय बचाव में ग्रामीण ने वार किया था. उसी दौरान टाइगर घायल हुआ था.अभी फिलहाल वह स्वस्थ है.
हरदा में पहली बार मिला बाघ
हरदा जिले का वन क्षेत्र काफी बड़ा है. कई वन्य प्राणि जंगल में पाए जाते हैं. लेकिन बाघ पहली बार मिला. ये बाघ 4 ग्रामीणों पर हमला कर चुका था. उनमें से एक की मौत हो गयी थी.
हाथी पर सवार टीम
बाघ ने सबसे पहले 9 जनवरी को जवारदा गांव में मवेशी चरा रहे हीरालाल नाम के आदिवासी पर हमला कर घायल किया था. दो दिन बाद रहटगांव रेंज के गांव केलझिरी में लकड़ी काटने गए ग्रामीण रतन पर हमला कर दिया था. उस हमले में रतन की मौत हो गयी थी. उसी दिन केलझिरी गांव से दो किलोमीटर दूर सर्चिंग टीम में शामिल बीट गार्ड हरिओम जगनवार पर हमला किया था. हमले में वनकर्मी के पैरों में चोट आयी थी. बाघ को रेस्क्यू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सतपुड़ा नेशनल पार्क के डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि दो हाथियों पर डॉक्टरों की टीम थी और एक हाथी पर दो अन्य लोग थे. बाद में बेहोशी की दवा डॉटिंग गन से बाघ में इंजेक्ट की गयी. उसके बेहोश होने के बाद टाइगर का हेल्थ चेकअप किया गया. बाघ 150 किलो वजनी है.बाद में उसे पिंजरे में रखा गया.टाइगर को भोपाल के वन विहार ले जाया गया जहां उसका इलाज किया जायेगा
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