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पटना. जाप प्रमुख पप्पू यादव की कांग्रेस में एंट्री पर कांग्रेसी और राजद नेता रोड़ा बन गए हैं. कांग्रेस इसको लेकर दो गुटों में बंट गई है. एक पप्पू यादव के समर्थन में है, तो दूसरा गुट उनके विरोध में है. दोनों के अपने-अपने तर्क हैं. राजद समर्थक कांग्रेसी का कहना है कि पप्पू यादव के पार्टी में एंट्री से कांग्रेस- राजद गठबंधन में दरार बढ़ेगा. इधर, पप्पू समर्थकों का कहना है कि पप्पू यादव के आने से कांग्रेस मजबूत होगी. ओबीसी के रूप में कांग्रेस को एक बड़ा चेहरा मिलेगा. कांग्रेस की परंपरागत वोट भी कांग्रेस में वापस आएगा.

चार दौर की बात के बाद लगा ब्रेक
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि बिहार विधानसभा उप- चुनाव के बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास की पहल पर पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन के साथ कांग्रेस के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल की इस मुद्दे पर चार दौर की बात हुई. वेणुगोपाल ने भी पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल करने और रंजीत रंजन को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने पर अपनी सहमति दे दी थी. लेकिन, इसकी भनक पार्टी में पप्पू यादव के विरोधी खेमे को लगने पर उन लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. इसी कारण रंजीत रंजन के कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने और पप्पू यादव को कांग्रेस में एंट्री पर ब्रेक लग गई.

क्यों हो रहा है विरोध
पप्पू यादव की कांग्रेस में एंट्री का कांग्रेसी के साथ साथ राजद के कद्दावर नेता भी विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि पप्पू यादव के कांग्रेस में आने से राजद और कांग्रेस की पुरानी दोस्ती में दरार पड़ सकता है. इससे पार्टी को बिहार में काफी नुकसान होगा. विरोधी पप्पू यादव की छवि पर भी सवाल खड़ा कर उनका विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस के सीनियर नेताओं की माने तो पप्पू यादव का कांग्रेस में शामिल होने का कांग्रेसी से ज्यादा राजद के सीनियर नेता विरोध कर रहे हैं.

उनका कहना है कि प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल ओबीसी और दलितों कोटे का कोई बड़ा नेता नहीं है. पप्पू यादव के आने से यह कमी दूर हो जाएगी. इससे पार्टी का परंपरागत वोट भी एक बार फिर से कांग्रेस में वापस आने की उम्मीद है. पप्पू यादव के आने से राजद के परंपरागत ‘यादव वोट’ का लाभ भी कांग्रेस को मिलेगा. इसी प्रकार पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन ब्राह्मण हैं. ब्राह्मण भी कांग्रेस के पंरपरागत वोटर रहे हैं. लेकिन पार्टी में उपेक्षा के कारण वे पार्टी से दूर होते चले गए. रंजीत रंजन को प्रदेश अध्यक्ष बनने पर नाराज ब्राह्मणों को भी पार्टी से जोड़ा जा सकता है.

राजद क्यों विरोध कर रही है
कांग्रेसी से ज्यादा राजद परिवार की ओर से पप्पू यादव के कांग्रेस में एंट्री का विरोध हो रहा है. राजद नेताओं को लगता है कि कन्हैया कुमार के बाद पप्पू यादव के कांग्रेस में आने पर बिहार में कांग्रेस मजबूत हो जाएगी. राजद के पंरपरागत ‘माई’ समीकरण विखर जायेगा. पप्पू यादव लगातार तेजस्वी पर हमला करते रहते हैं. वे बिहार में कांग्रेस और जदयू गठबंधन के समर्थक हैं. राजद नेताओं को इसी कारण पप्पू के कांग्रेसी होने पर एतराज है. वे नहीं चाह रहे कि पप्पू यादव की कांग्रेस में एंट्री हो.

कांग्रेसी क्यों भयभीत हैं
कांग्रेस में राजद समर्थकों को डर है कि पप्पू यादव के कांग्रेस में एंट्री से अगर कांग्रेस और राजद का गठबंधन टूटा तो उनकी कुर्सी भी डोल सकती है. क्योंकि उनकी जीत में ‘माई’ समीकरण की अहम भूमिका है. यही भय राजद के करीबी और कांग्रेस के टिकट से राज्य सभा सदस्य बने नेताजी को भी डरा रहा है. उन्हें भी अपनी कुर्सी के खतरे का डर है. क्योंकि वे भी राजद विधायकों की मदद से ही राज्य सभा पहुंचते हैं. यही कारण है कि कांग्रेस में रहते हुए भी उन्हें पार्टी में लालू समर्थक के रुप में जाना जाता है.

अंतिम फैसला राहुल के हाथ में
कांग्रेस में पप्पू यादव की एंट्री पर अंतिम फैसला अब राहुल गांधी को करना है. सूत्रों का कहना है कि फरवरी में पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन की राहुल गांधी से इस मुद्दे पर बात होनी है. इस बातचीत में यह तय होगा कि पप्पू कांग्रेस में शामिल होंगे या नहीं.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

आपके शहर से (पटना)

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