बीजापुर-सुकमा की सीमा पर नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए. 24 घंटे बाद शव उठाने पहुंची पुलिस.
Bijapur Naxal Encounter: बीजापुर में जिस नक्सली कमांडर हिड़मा की तलाश में सुरक्षाबल की टीम पहुंची थी, वह नक्सलियों के जाल में फंसकर रह गई. जवानों के शव के नीचे आईईडी लगाने की आशंका को देखते हुए सुरक्षाबल को हुई शवों को उठाने में देरी.
मुठभेड़ के 24 घंटे बाद न्यूज 18 की टीम सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस की सर्च-पार्टी से पहले पहुंचे न्यूज 18 के संवाददाताओं ने टेकुलगुड़ा और एक अन्य गांव में जो हालात देखे, वह न सिर्फ वीभत्स थे, बल्कि हैरान कर देने वाले भी थे. टेकलगुड़ा गांव में मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों के शव जहां-तहां पड़े थे. कुछ शव गांव में बने घरों के पास, तो कुछ गांव से बाहर के मैदान में खुले आसमान के नीचे पड़े थे. इन शवों को 24 घंटे बाद भी उठाया नहीं जा सका था, इसको लेकर तमाम सवाल किए जा रहे थे. न्यूज 18 की टीम ने जब इसकी पड़ताल की, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई.


शवों के नीचे कहीं बम तो नहीं!
दरअसल, कुछ साल पहले हुई नक्सली घटनाओं में इंसानी लाशों के नीचे आईईडी लगाने और उसे धमाके से उड़ा देने की घटनाएं हुई हैं. नक्सलियों ने मानवता को ताक पर रखते हुए सुरक्षाबल के जवानों के शव के नीचे आईईडी लगा दिए थे. इन शवों को उठाते समय जोरदार धमाके हुए और रेस्क्यू करने आए जवानों की टीम के सदस्यों की जान चली गई. छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड या अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं. बीजापुर एनकाउंटर में शहीद हुए जवानों के शव के साथ नक्सली ऐसा कर सकते हैं, इस अंदेशे के साथ ही पुलिस की टीम गांव तक पहुंची थी. इसलिए शवों की जांच-पड़ताल के बाद ही उन्हें उठाया जा रहा था.
शवों के नीचे कहीं बम तो नहीं!
खराब होने लगी थी शवों की हालत
ग्राउंड जीरो पर मौजूद न्यूज 18 की टीम ने देखा कि गांव में खुले आसमान के नीचे पड़े जवानों के शव 24 घंटे से ज्यादा समय होने की वजह से खराब होने लगे थे. मौसम की वजह शवों की हालत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन इसके बावजूद पुलिस की सर्च-पार्टी अब तक गांव में नहीं पहुंच सकी थी. बहरहाल, न्यूज 18 के बाद जब पुलिस की सर्च-पार्टी गांव में पहुंची, तब भी शवों को तत्काल उठाने में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखा जा रही थी.
खराब होने लगी थी शवों की हालत
रस्सी से हिलाकर बम की जांच
लापता जवानों की तलाश में निकली सर्च-पार्टी गांव में शव पड़े होने की जानकारी के बाद 24 घंटे बाद पहुंची थी. टीम के सदस्य शवों को उठाने में अतिरिक्त सावधानियां बरत रहे थे. टीम का कोई भी सदस्य इन शवों के पास नहीं जा रहा था, बल्कि पहले दूर से ही निरीक्षण किया जा रहा था. जवानों के शव ले जाने आई इस टीम के सदस्यों को इस बात की आशंका थी कि कहीं शवों के नीचे प्रेशर-बम या आईईडी न लगा हो. इसलिए शवों को पहले रस्सी से बांधकर दूर से ही खींचा जा रहा था. शवों को हिला-डुलाकर देखा जा रहा था. पूरी तरह से तस्दीक करने के बाद ही शवों को ले जाया जा रहा था.
रस्सी से हिलाकर बम की जांच
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