इलाहाबाद नोर्थ. प्रयागराज जिले की उत्तर विधानसभा सीट एक तरह से भाजपा और कांग्रेस के लिए है. यहां पर मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच टक्कर रहती है. इस सीट पर इमरजेंसी के पहले तक कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन इमरजेंसी के बाद यहां पर भाजपा ने पैर जमाना शुरू कर दिया. पिछले चुनावों में भी यहां पर मोदी लहर का असर पड़ा था और भाजपा के उम्मीदवार यहां से विधायक बने थे. इस क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय के लोगों की संख्या काफी है इसलिए यहां पर ब्राह्मण राजनीतिक समीकरण बनाते बिगाड़ते हैं.
2017 के चुनावों में भाजपा के हर्षवर्धन बाजपेयी को जनता ने विधायक की कुर्सी पर बैठाया था. भाजपा इस बार भी हर्षवर्धन को ही फिर से उतारने पर विचार कर रही है. इतिहास की ओर देखें तो 1957 से 1980 तक इस सीट पर कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाए रखा. बीच बीच में यहां पर भाजपा भी सामने आई लेकिन ज्यादातर समय कांग्रेस को ही इस सीट पर अधिकार मिला. इमरजेंसी के बाद 1991 में भाजपा के नरेन्द्र कुमार सिंह गौरी को यहां से जीत मिली थी. इसके बाद कई बार लोगों ने उन पर विश्वास जताया. 1993, 1996 और 2002 में उन्होंने इस सीट को अपने हाथों में लिया हालांकि 2007 में यह नहीं हो सका.
इस सीट की पहचान कांग्रेस के नेता अनुग्रह नारायण सिंह के कारण भी खास है. अनुग्रह के कारण इस सीट पर कई बार बदलाव देखने को मिला. उन्होंने कई बार यहां की राजनीति में पास पलटने का काम किया. अनुग्रह के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1985 में इस सीट पर जीत के साथ हुई थी. उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से कांग्रेस को यहां मजबूत बनाया. 2007 में भाजपा को शिकस्त देने में उन्हीं की ही अहम भूमिका रही. लेकिन 2017 में वह इस सीट को अपनी पार्टी के लिए बचा नहीं सके और भाजपा को जीत मिली.
इस सीट पर चूंकि ब्राह्मण और ठाकुर जीत हासिल करते हैं इसलिए सभी पार्टियां इन्ही पर अपना कार्ड खेलना चाहती हैं.
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