धर्मशाला. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से भाजपा विधायक विशाल नैहरिया ने एक गुमनाम मृतक साधू का चामुंडा नंदिकेश्वर धाम में अंतिम संस्कार किया है. लोग उसकी सराहना करने लग गये हैं, नैहरिया द्वारा दिखाई गई इस दरियादिली को जहां उनके विरोधी पॉलिटीकल स्टंट मान रहे हैं. नैहरिया को बचपन से जानने और समझने वाले इसे नैहरिया का असली नेचर बता रहे हैं.
दरअसल प्रदेश की दूसरी राजधानी और विधानसभा क्षेत्र धर्मशाला की कमान इन दिनों भाजपा के युवा विधायक विशाल नैहरिया के हाथों में है, बावजूद इसके धर्मशाला में विपक्ष तो विपक्ष खुद भाजपा के भी कई दिग्गज नेता नैहरिया को पूरी तरह से आज भी विधायक मानने को तैयार नहीं हैं और उन्हें उपचुनावों की अकस्मात देन मानते हैं. साथ ही उनका अंदरखाते इस साल होने वाले चुनावों में ही पता साफ करने का भी जुगाड़ भिड़ाने में जुट चुके हैं.
बावजूद इसके छोटी ही उम्र में प्रदेश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक मंदिर की दहलीज लांघने वाले नैहरिया ने भी ठान लिया है कि स्थिति चाहे जो भी क्यों न हो, वो हर शह को मात देने से पीछे नहीं हटने वाले, हालांकि ये अकस्मात नहीं कि नैहरिया को यूं ही धर्मशाला जैसे महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र की कमान भाजपा ने उनके हाथों में सौंपी हो, बल्कि इसके पीछे उनकी छोटी ही उम्र में एबीवीपी और भाजयुमों में पैठ को बड़ी वजह के तौर पर देखा गया था। इतना ही नहीं भाजपा की रैलियों में युवाओं की भीड़ इकट्ठा करना हो या फिर किसी आंदोलन को सफल बनाना, हरएक शह के पीछे नैहरिया की रणनीति ने जिस तरह भाजपा को कई क्षेत्रों में बढ़त दिलाई ठीक उसी तर्ज पर भाजपा हाईकमान ने भी पहले तो नैहरिया को इस जिम्मेदारी के लिये अपनी कसौटी पर कसने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी और जब तन जाने के बाद भी उनकी सूझबूझ की डोर न टूटी तो धर्मशाला की डोर फिर हाईकमान ने नैहरिया के हाथों में ही सौंपना बेहतर समझा, नतीजतन नैहरिया ने भी पार्टी आलाकमान के फैसले को सिरे चढ़ाते हुये जीत दर्ज कर अपना कद बढ़ाते हुये भाजपा के दिग्गजों की झोली में डाल दिया.
आज हालांकि ये भी सार्वजनिक है कि नैहरिया हाल के दिनों में निजी परेशानियों से बेहद आजिज़ हैं बावजूद इसके अपनी निजी परेशानियों को एक तरफ और कार्यक्षेत्र को धर्मक्षेत्र समझकर जनता और युवाओं के बीच पैठ बनानी शुरू की है. उससे कहीं न कहीं ये प्रतीत हो रहा है कि इस चुनावी साल के अंत तक नैहरिया जहां अपना कद दूसरे कद्दावरों की श्रेणी में लाने के लिये सियासी मैदान में डट चुके हैं. ठीक वैसे ही विपक्षियों के लिये भी उनका इन दिनों सियासी मैदान में बढ़ता हुआ कद बड़ी चुनौती बनता हुआ नजर आ रहा है.
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