रिपोर्ट- विशाल भटनागर
मेरठ. पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों की बात करें तो अधिकतर गन्ने की खेती करते हैं. यही कारण है कि यूपी के पश्चिमी बेल्ट को गन्ना बेल्ट कहा जाता है. मेरठ समेत पूरे पश्चिमी यूपी में किसानों द्वारा सबसे अधिक गन्ने की प्रजाति बीज नंबर 0238 को ही बोया जाता है, जो किसानों के लिए काफी लाभकारी था. हालांकि पिछले कुछ सालों से इस बीज में भी कई तरह के रोग लगने लगे हैं.
किसान राजकुमार करनावल का कहना है कि फसल में 40 फीसदी तक का नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है. और इसकी वजह है गन्ने की फसल में चोटी बेदक रोग, दीमक, सफेद सुंडी, पाईरिला, मिली बग, लाल सड़न रोग, कड़वा रोग, उकठा रोग, पोक्का बोइंग, कांसुवा, गुरदासपुर बोरार आदि सहित अन्य प्रकार की बीमारियां. गन्ने की फसल में किसानों को हो रहे नुकसान को देखते गुए गन्ना विभाग द्वारा रिसर्च करने के बाद गन्ने के नए बीज जारी किए हैं,जिससे किसानों को फायदा होने की संभावना है.
जानिए कौन-कौन सी हैं नई प्रजातियां?
उपगन्ना आयुक्त मेरठ राजेश मिश्रा ने बताया कि किसानों को अब बीज नंबर 0238 के स्थान पर गन्ने की प्रगतिशील अर्ली प्रजाति सीईओ 15023, सीओ 13235, और 14201 की बुवाई करने की सलाह दी जा रही है. इसमें किसानों को ज्यादा दवाइयां लगाने की आवश्यकता नहीं होगी. कम खर्चे में बेहतर फसल किसानों को उपलब्ध होगी.
कैसे करनी है गन्ने की बुवाई?
गन्ना विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान खेत में गन्ने के बीज की बुवाई करते समय नियमित दूरी का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि अधिक बीज बोने के कारण गन्ना ज्यादा बड़ा नहीं हो पाता. इससे भी किसानों को नुकसान होता है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि फसल में दवाई नियमित रूप से ही डालें. ज्यादा दवाई डालने से भी जमीन की उर्वरक क्षमता कमजोर होती है.
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Tags: Meerut news, Sugarcane Belt, Sugarcane Farmers
FIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 11:53 IST