लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के पहले चरण के मतदान से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) को साथ आने का न्योता दिया. हालांकि जयंत चौधरी ने लगे हाथ इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और साथ ही भाजपा (BJP Offer) को विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से अधिक समय तक चले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की याद दिलाई. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah) की जाट नेताओं संग बैठक के बाद मिले ऑफर को ठुकराते हुए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने भाजपा के साथ जाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. जयंत चौधरी ने कहा कि भाजपा के साथ जाने को लेकर किसी से कोई बातचीत नहीं हुई है, हालांकि उन्होंने कुछ शर्तें रखी हैं, जिसे पूरा करने पर उनके जैसा कोई भाजपा के साथ जाने पर विचार कर सकता है.
सीएनएन-न्यूज18 से बातचीत में भाजपा के ऑफर पर समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुके रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि बीजेपी के साथ जाने पर फिलहाल कोई बातचीत नहीं है. मेरी कुछ शर्ते हैं. उसके पूरा होने पर ही मेरे जैसा कोई उनके साथ जा सकता है. जयंत चौधरी ने शर्तों को गिनाते हुए कहा कि पहले किसान परिवारों के साथ न्याय हो, जो किसान संगठनों से वादा किया, उससे भाजपा मुकरती नजर आ रही है, उन वादों को पूरा करें. और तीसरी चीज जो उनके लिए असंभव है, ध्रुवीकरण और धार्मिक राजनीति को वे त्याग दें. उनके लिए ये करना असम्भव है, इसलिए गठबंधन की कोई पॉसिबिलिटी नहीं बनती. उन्होंने कहा कि आज सिर्फ जाट ही नाराज नहीं हैं, युवा, किसान, महिलाएं भी नाराज हैं.
दरअसल, कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थितियों को भाजपा के और अनुकूल बनाने के प्रयासों के तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इलाके के जाट नेताओं से संवाद किया. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में रालोद के समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने कहा कि जयंत चौधरी ‘गलत घर’ में चले गए हैं. यह बैठक दिल्ली से भाजपा के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के आवास पर हुई और इसे ‘सामाजिक भाईचारा बैठक’ का नाम दिया गया था।
प्रवेश वर्मा ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को भाजपा गठबंधन में आने का प्रस्ताव दे दिया और कहा कि भाजपा के दरवाजे उनके लिए खुले हैं. उन्होंने कहा, ‘यह बात तय है कि चुनाव बाद भाजपा की सरकार बनेगी. जयंत चौधरी ने एक अलग रास्ता चुना है. जाट समाज के लोग उनसे बात करेंगे, उन्हें समझाएंगे. चुनाव के बाद संभवनाएं हमेशा खुली रहती हैं. हमारा दरवाजा आपके लिए खुला है.’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘राजनीति में संभावनाएं हमेशा खुली रहती हैं. किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। चुनाव के बाद देखेंगे कि क्या संभावना बनती है. हम तो चाहते थे कि हमारे घर में आएं पर उन्होंने कोई दूसरा घर चुना है.’ बैठक में जाट समुदाय के करीब 250 से अधिक प्रबुद्ध वर्ग के लोग और अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभुत्व रखने वाले नेताओं के अलावा भाजपा के उत्तर प्रदेश के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान और सांसद सत्यपाल सिंह भी शामिल हुए.
भाजपा के इस खुले प्रस्ताव पर जयंत चौधरी ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘न्योता मुझे नहीं, उन +700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए!!’बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की भूमिका हमेशा अहम होती है और वह परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखता है. इस क्षेत्र में रालोद का खासा प्रभाव है. जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके पिता दिवंगत अजीत सिंह भी केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं. इस बार के चुनाव में रालोद ने सपा से गठबंधन किया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शाह ने जाट नेताओं को संबोधित करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कानून व व्यवस्था में सुधार से लेकर किसानों की समस्याओं के मद्देनजर केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों की ओर से लिए गए निर्णयों का उल्लेख किया. सूत्रों के मुताबिक शाह ने यह भी कहा कि भाजपा ने तीन-तीन जाट नेताओं को राज्यपाल बनाया और सबसे अधिक विधायक और सांसद दिए तथा अलीगढ़ में एक विश्वविद्यालय का नाम प्रमुख जाट नेता राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा.
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