रिपोर्ट – विशाल भटनागर
मेरठ. 15वें वित्त आयोग के पैसे के ज़रिये नगर निगम में भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है. इस मामले से राजनीतिक बयानबाज़ी तो शुरू हो ही रही है, सांसद ने सख्त एक्शन की सिफारिश कर दी है, तो संबंधित इंजीनियरों के खिलाफ जांच रिपोर्ट राज्य सरकार तक पहुंचाई गई है. माना जा रहा है कि इस मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है क्योंकि यह आगामी चुनाव में गले की फांस जैसा मुद्दा भी बन सकता है. करप्शन का यह मामला एक सड़क निर्माण के टेंडर से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर लाखों रुपये के वारे न्यारे कर दिए गए.
भले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अनेक प्रयास करने और सख्त से सख्त एक्शन के दावे कर रही हो, लेकिन भ्रष्टाचारी नए-नए तरीके से सरकारी धन से अपनी जेबें भरने से बाज़ नहीं आ रहे. दरअसल 15वें वित्त आयोग के तहत टीपी नगर स्थित गुप्ता कॉलोनी में 295 मीटर सड़क निर्माण होना था. लेकिन टेंडर 295 के बजाय 600 मीटर का जारी किया गया. इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी और नगर निगम के कुछ कर्मचारियों ने मिलकर सड़क का बजट भी डेढ़ करोड़ से ज्यादा का बना दिया.
जांच के बाद भी खड़ा है सवाल!
मेरठ के नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा ने घोटाले की जांच करते हुए शासन को संबंधित इंजीनियरों के खिलाफ रिपोर्ट बनाकर पत्र भेज दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार क्या कार्रवाई करती है, यह तो कुछ वक्त में सामने आ जाएगा लेकिन सवाल ये है कि जब पारदर्शिता के लिहाज़ से सभी टेंडर ऑनलाइन किए जाते हैं, तो इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई?
अब सारे निर्माण कामों की होगी जांच
News18 Local से बात करते हुए महापौर सुनीता वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत जितने निर्माण कार्य हुए हैं, सबकी एक सिरे से जांच कराई जाएगी. जो भी भ्रष्टाचारी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस संबंध में सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने भी मंडल कमिश्नर को सख्त कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है. दरअसल आने वाले समय में निकाय चुनाव होने हैं. ऐसे में यह बड़ा स्थानीय सियासी मुद्दा बन रहा है.
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Tags: Corruption case, Meerut news
FIRST PUBLISHED : September 16, 2022, 11:25 IST