चायल. कौशाम्बी जिले की चायल विधानसभा सीट (Chail Assembly Seat) 2012 में सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुई. इससे पहले यह 1962 से 2012 तक आरक्षित रही. 2012 में चुनाव में सामान्य सीट से बसपा के आसिफ जाफरी यहां से विधायक बने थे. 2017 के चुनावों पर गौर करें तो यहां भी मोदी लहर का फर्क पड़ा था. भाजपा के संजय गुप्ता को यहां से जीत हासिल हुई थी. संजय को 85713 मत मिले थे. वहींं इस सीट पर दूसरे नम्बर पर तलत अजीम रहे थे. इनको सपा कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था. तलत को 45597 मत मिले थे.
इस सीट पर अधिकांशत: दलित और पिछड़ा वर्ग के लोग विधायक की कुर्सी पर बैठते हैं. इस सीट पर लगातार तीन बार बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा है. बसपा के दयाराम पासी यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं. बसपा 2002 से 2012 तक यहां पर अपनी सीट बचाने में कामयाब रही लेकिन 2017 में वह मोदी लहर के आगे टिक नहीं सकी. 2017 के चुनावों बसपा तीसरे पायदान पर चली गई थी. वहीं इस सीट पर आज तक कभी भी सपा का खाता नहीं खुल सका है. इस सीट पर 1969 तक कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 1969 में इस सीट पर भारतीय जनसंघ ने कब्जा जमाया. जनसंघ के कन्हैया लाल सोनकर ने इस साल यहां चुनाव जीता. इसके बाद 1985 और 1989 में कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र कुमार ने जीत दर्ज की थी.
1991 में चायल सीट जनता दल के हिस्से में चली गई. इस सीट से दिनेश चंद्र ने जीत हासिल की. इसके बाद 1993 में यहां से भाजपा के शिव धानी ने जीत दर्ज की और इसी साल से यहां पर भाजपा का खाता खुल गया. 1996 के चुनावों की बात करें तो यहां पर एक बार फिर कांग्रेस के उम्मीदवार विजय प्रकाश ने जीत हासिल की. इसके बाद से यहां पर बसपा की पकड़ बेहतर हो गई और 2002 में यहां पर पार्टी के दयाराम ने जीत दर्ज की. इस चुनाव में उन्होंने सपा के राधेश्याम भारती को पराजित किया था.
मतदाता संख्या की बात की जाए तो यहां पर कुल मतदाता 332357 हैं. इनमें से महिला मतदाता 148602 और पुरुष मतदाता 183755 हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति की संख्या अधिक है. इसके अलावा यहां मुस्लिम समुदाय की संख्या भी ठीक है और वे यहां चुनाव के नतीजों को प्रभावित करते हैं.
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