नई दिल्ली. कोरोना (Corona) एक बार फिर से अपने पैर पसार रहा है. इसको लेकर तमाम राज्य सरकारों ने अपनी गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. कुछ जगहों पर नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) व वीकेंड कर्फ्यू शुरू हो चुका है. सभी को सुरक्षित रहने और सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में अगर आपको परिवार के साथ कहीं यात्रा पर जाना जरूरी हो, तो टेंशन होना लाजमी है.
हर घर-परिवर में लोग आपात स्थिति के लिए फर्स्ट एड किट (First Aid Kit) जरूर रखते हैं. छोटी-छोटी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आने पर लोग फर्स्ट एड बॉक्स का सहारा लेते हैं. कोरोना की इस महामारी के दौर में हर कोई अस्पताल जाने से बचना चाहता है. इसके लिए फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) हमेशा साथ रखना चाहिए. मरीज के पास तक एंबुलेंस पहुंचने तक उसको कुछ आराम मिले, इसलिए प्राथमिक उपचार दिया जाता है.
प्राथमिक चिकित्सा का मकसद कम से कम संसाधनों से इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोट ग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने तक कम से कम नुकसान हो. यह कभी-कभी जीवन रक्षक भी सिद्ध होता है.
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गौरतलब है कि प्राथमिक चिकित्सा का कार्य सदियों से किया जा रहा है, परन्तु हमें इसकी शिक्षा नहीं दी गयी है. लेकिन फर्स्ट ऐड को शिक्षा की दृष्टि से हमारे एजुकेशन सिस्टम में लाना अति आवश्यक है, और यह अनूठी पहल की है फाठेर ऑफ़ फर्स्ट ऐड काउंसिल के डॉ शबाब आलम ने.
शबाब आलम ने यह महसूस किया गया है कि अभी देश में स्वास्थ्य कर्मियों की बहुत कमी है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ संस्थानों को एक साथ जोड़कर राष्ट्रीय कार्यक्रम का गठन किया गया जिसको हम भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद (FACI) कहते हैं. डॉ आलम द्वारा निर्देशित भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद एक स्वायत्त निकाय है, जो फर्स्ट एड (First Aid) यानी शिक्षा, प्रशिक्षण, जागरुकता, सहायता और उससे संबंधित आवश्यक सूचनाओं को एकत्र कर जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करती है. साथ ही देश में संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और अधिक मजबूत बनाने का आह्वान करती है.
आज के समय में फर्स्ट एड का इस्तेमाल और इसकी जानकारी बेहद जरूरी है. फादर ऑफ फर्स्ट एड काउंसिल ऑफ इंडिया डॉ शबाब आलम का कहना है कि कोरोना के संकटकाल में स्वास्थ्य संस्थाओं/चिकित्सकों और कर्मचारियों के अलावा प्राथमिक चिकित्सा देने में प्रशिक्षित लोगों की मांग बढ़ी है.
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बिना मेडिकल अनुभव के प्रदान की जा सकती है प्राथमिक चिकित्सा
घायल या रोगी को प्राथमिक उपचार या सहायता देने की परंपरा प्राचीन काल से रही है. फर्स्ट एड (First Aid) यानी प्राथमिक चिकित्सा किसी भी इमरजेंसी जैसे दुर्घटना की स्थिति में समस्या की पहचान और सहायता प्रदान करने का पहला कदम है. फर्स्ट एड में सामान्य और जीवन को बचाने वाली तकनीक शामिल होती है. प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) को लोग कम से कम उपकरणों और बिना मेडिकल अनुभव के ही प्रदान कर सकते हैं.
यह किसी मेडिकल उपचार (Medical Treatement) का हिस्सा नहीं है और न ही डॉक्टर की सलाह और ट्रीटमेंट की जगह ले सकता है. इसमें आपको जब तक पीड़ित व्यक्ति को मेडिकल हेल्प नहीं मिल जाती, तब तक सामान्य प्रक्रियाओं और कॉमन सेन्स का प्रयोग करके स्थिर रखना होता है, ताकि उसकी जान बच सके.
प्राथमिक चिकित्सा विशेषज्ञ डिप्लोमा कोर्स एक अनोखा कोर्स
फर्स्ट एड काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. शबाब आलम का कहना है कि प्राथमिक चिकित्सा विशेषज्ञ डिप्लोमा कोर्स एक अनोखा कोर्स है, जिसके माध्यम से पूरे देश में स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ-साथ स्वरोजगार के लिए एक सकारात्मक संदेश दिया गया है. इसका लाभ प्रदेश के छात्र-छात्राएं अध्यापन केंद्र के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं. प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित, एक कुशल पेशेवर न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर सकता है. लेकिन यह सब कौशल युक्त प्रशिक्षण के बिना संभव नहीं है.
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