रिपोर्ट: आदित्य कुमार
नोएडा. एक समय में नोएडा सेक्टर-30 का जिला अस्पताल उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. करीब 550 करोड़ की लागत से बने अस्पताल का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2011 में किया था, जिसमें अस्पताल के निर्माण के साथ ही सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया गया था. सरकार बदलने के साथ ही अस्पताल बदहाली का शिकार होता गया. इतना ही नहीं मरीजों और तीमारदारों की सुविधा के लिए तीन लिफ्ट लगाई गई हैं, लेकिन मौजूदा समय में तीनों ही लिफ्ट खराब चल रही हैं. ऐसे में अस्पताल में आप किसी बीमारी के इलाज के लिए जाते हैं तो वहां आपको ग्राउंड फ्लोर से दूसरी या तीसरी मंजिल पर जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. इसमें भी अगर आपका मरीज बुजुर्ग, सर्जरी का मरीज या गर्भवती महिला है तो परेशानी आपको ही झेलनी है.
करोड़ों की लागत से बने बहु मंजिला अस्पताल की दूसरी मंजिल पर लेबर रूम है, जहां पर गर्भवती महिलाओं का इलाज किया जाता है. जब भी किसी महिला को ग्राउंड फ्लोर से फर्स्ट फ्लोर पर जाना होता है, तो उसे व्हीलचेयर रैंप से होकर ही जाना पड़ता है. राजीव अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल आए थे, उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी को जब प्रसव पीड़ा हुई तो घर से उसे हॉस्पिटल लेकर आए और यहां पर नीचे से ऊपर जाने में ही काफी परेशानी झेलनी पड़ी. ऐसे में कभी भी किसी के साथ भी कोई अनहोनी हो सकती है. वहीं लोगों का कहना है कि 2 साल पहले जब कोरोना (COVID-19) आया तब से लिफ्ट बंद है और अब तक बंद पड़ी है .
लिफ्ट खराब है, डॉक्टर प्लास्टर करने के बाद बोले नीचे जाओ
बिहार के रहने वाले प्रदीप का एक्सीडेंट में पैर टूट गया था. पुलिस ने जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया. डॉक्टरों ने प्रदीप के पैर में कच्चा प्लास्टर लगाया और बोला कि अब घर चले जाओ. प्रदीप बताते हैं कि हड्डी और उससे जुड़े अस्पताल पहले फ्लोर पर होते हैं. ऐसे में नीचे कैसे जाऊं, लिफ्ट बंद है और साथ कोई नहीं. दर्द बयां करते हुए प्रदीप आगे बताते हैं कि नीचे कैसे आया उस तकलीफ को याद करते ही दर्द फिर से शुरू हो जाता है.
धृतराष्ट्र बन गया है अस्पताल प्रशासन
ऐसा नहीं है कि अस्पताल प्रशासन कुछ देख नहीं रहा है.उसे कुछ पता नहीं है, लेकिन धृतराष्ट्र बना हुआ है. वहीं इस बारे में अस्पताल का पक्ष जानने के लिए अस्पताल के सीएमएस पवन कुमार अरुण को फोन और मैसेज किया गया, तो उधर से कोई जवाब ही नहीं मिला.
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FIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 10:28 IST