रिपोर्ट:अभिषेक जायसवाल
वाराणसी. पितरों के तर्पण के पर्व पितृपक्ष की शुरुआत आज (10 सितंबर) से हो चुकी है. मोक्ष की नगरी काशी में 15 दिनों तक घाटों और कुंडों पर लोग तर्पण और पिंडदान के लिए बड़ी संख्या में जुटते हैं. मोक्ष के इसी शहर में एक ऐसा कुंड भी है जहां भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए खास अनुष्ठान कराया जाता है. पितृपक्ष के अलावा आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ होती है.
काशी के पिशाच मोचन कुंड (Pishach Mochan Kund) को लेकर ये मान्यता है कि इस कुंड पर तर्पण और श्राद्ध करने से भटकती आत्माओं को भी मुक्ति मिल जाती है. यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु पूजन के लिए आते हैं. इस कुंड पर भटकती आत्माओं की शांति के लिए नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता है. पूरी दुनिया में सिर्फ काशी का पिशाच मोचन कुंड ही ऐसा तीर्थ है जहां ये अनुष्ठान होता है.
तीन तरह की होती हैं आत्माएं
आचार्य महेंद्र तिवारी ने बताया कि तामसी, राजसी और सात्विक ये तीन तरह की आत्माएं होती हैं. इन तीनों तरह की आत्माओं को मुक्ति दिलाने के लिए यहां अनुष्ठान कराया जाता है, जिसे नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध कहते हैं. इसमें तीन अलग-अलग कलश पर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की पूरे विधान से पूजा की जाती है, जिससे उन भटकती आत्माओं के बैकुंठ जाने का मार्ग खुल जाता है.
भगवान शंकर ने दिया था वरदान
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सिर्फ काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है.पुराणों के अनुसार पितृपक्ष के इन 15 दिनों में पितरों के लिए बैकुंठ का द्वार खुल जाता है. इस कुंड से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि भगवान शंकर ने खुद यहां प्रकट होकर ये वरदान दिया था कि जो अपने पितरों का श्राद्ध कर्म इस कुंड पर करेगा, उसे सभी योनियों से मुक्ति मिल जाएगी. (यह खबर मान्यताओं पर आधारित है. न्यूज़18 इसकी पुष्टि नहीं करता.)
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2022, 17:07 IST