दुनियाभर के इक्विटी बाजारों में हालिया गिरावट ने निवेशकों को हिलाकर रख दिया है। यह गिरावट 2021 की शानदार तेजी का भी अंत दिखा रही है। भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का रुख जारी है, आज गुरुवार को भी शेयर बाजार शुरूआती कारोबार में 1000 अंक नीचे हैं। अब तक 2022 में, MSCI US और MSCI वर्ल्ड इंडेक्स क्रमशः 20% और 8% नीचे हैं जबकि 2021 में दोनों में क्रमशः 37% और 20% की वृद्धि देखने को मिली थी।
निवेशकों के डर में बढ़ोतरी
MSCI इंडिया इंडेक्स ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है और 2022 में केवल 1.32% की गिरावट आई है। 2021 में इसमें 27% की तेजी रही थी। इस साल 2022 में अब तक CBOE अस्थिरता सूचकांक (VIX) और NSE इंडिया VIX सूचकांकों में क्रमशः 66% और 32% की वृद्धि हुई है, जो अच्छा संकेत नहीं है। इन दोनों को दर सूचकांक के नाम से भी जाना जाता है पिछले साल दोनों क्रमशः 24.31% और 23.10% गिरे थे।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बढ़ाई मुश्किलें
बढ़ती हुई मंहगाई के कारण, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी और बांड पुनर्खरीद प्रोग्राम की समाप्ति को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। इस महीने बोफा सिक्योरिटीज द्वारा सर्वेक्षण किए गए लगभग 44% वैश्विक फंड प्रबंधकों ने कहा कि वे केंद्रीय बैंकों को अपने पोर्टफोलियो के लिए सबसे बड़ा जोखिम जोखिम के रूप में देखते हैं। दिसंबर के सर्वेक्षण में यह संख्या 42% थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज लिमिटेड के रिटेल रिसर्च दीपक जसानी का कहना है कि, हम वैश्विक इक्विटी में जो बिकवाली देख रहे हैं, वह एक टेंपर टैंट्रम के रूप में शुरू हो सकता है, इससे और अधिक गिरावट आ सकती है।
क्या वापस आएगा टेंपर टैंट्रम
25 जनवरी को साप्ताहिक नोट में नवीन एसेट मैनेजमेंट में मुख्य निवेश अधिकारी और इक्विटी प्रमुख सायरा मलिक ने कहा, “कोविड, कमाई, मुद्रास्फीति और केंद्रीय बैंक की नीतियों में अनिश्चितता बनी हुई है, इस कारण बेअर्स 2022 में हावी हैं। जरूरी नहीं कि इक्विटी पर दबाव मौजूदा बुल मार्केट के अंत का संकेत है, बल्कि यह “टेंट्रम 2.0″ का आगमन का संकेत भी हो सकता है।” इक्विटी निवेशकों को वैश्विक ग्रोथ के कम होने और कोरोनावायरस वेरिएंट के बारे में अनिश्चितता जैसी अन्य चिंताओं का भी सामना करना पड़ रहा है। मालिक का कहना है कि भले ही बाजारों ने निष्कर्ष निकाला है कि ओमीक्रॉन एक दीर्घकालिक खतरा पैदा नहीं करता है लेकिन आर्थिक प्रतिबंधों का डर वैश्विक इक्विटी बाजारों के लिए एक डर पैसा कर रहा है।
क्यों गिर रहे हैं दुनियाभर के बाजार
आईएमएफ ने चीन और अमेरिका में विकास में प्रत्याशित मंदी के कारण वैश्विक आर्थिक विकास के लिए अपने पूर्वानुमान में कटौती की है। रबोबैंक के विश्लेषकों ने 25 जनवरी को एक रिपोर्ट में कहा- वैश्विक अर्थव्यवस्था अब 2022 में 4.4% की दर से बढ़ रही है, जो पिछले 4.9% के पूर्वानुमान से कम है। इसके अलावा, भू-राजनीतिक तनाव ने रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते संघर्ष ने चिंता बढ़ाई है। ऊर्जा, अनाज, उर्वरक, धातु, दरों और एफएक्स पर यूक्रेन का असर पड़ेगा। यह एक मेटाक्रिसिस है जो एक अलग ध्रुवीकरण हो सकता है, इसमें अमेरिका भी कामयाब हो सकता है लेकिन यूरोपीय संघ समेत सभी के लिए चुनौतियां हैं।
भारतीय शेयर बाजार पर असर
रूस-यूक्रेन संघर्ष में वृद्धि भारत के लिए जोखिम है, विशेष रूप से तेल की कीमतों के संबंध में। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें पिछले एक साल में लगभग 60% बढ़कर लगभग 89 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं, यह भारत जैसे बड़े तेल आयातक के लिए हानिकारक है। इसके अलावा कॉर्पोरेट आय मिश्रित रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि बजट निराश करता है, तो विदेशी निवेशक भारतीय शेयर में निवेश कम कर सकते हैं। इसका मतलब कि लंबे समय तक बाजार में गिरावट और उच्च अस्थिरता और इससे भारतीय इक्विटी के मूल्यांकन में कमी आ सकती है। वर्तमान में, भारतीय शेयर बाजारों का मूल्यांकन महंगा है। ब्लूमबर्ग डेटा दिखाता है कि MSCI India एक साल के प्राइस-टू-अर्निंग (PE) के 21 के गुणक पर ट्रेड करता है, जो MSCI Asia Ex-Japan के 12 गुना PE से काफी अधिक है।