Strong tremors of earthquake felt in china border of uttarakhand 10th event in this month in himalayan states

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पिथौरागढ़. लगातार आ रहे भूकंपों से हिमालयी राज्यों में दहशत बढ़ रही है. विशेष तौर पर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार ज़मीनी हलचल से लोग दहशत में हैं. भूकंप की मॉनीटरिंग का ज़िम्मा देख रहे नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की रिपोर्ट हैरान करने वाली है. उत्तराखंड औऱ हिमाचल की धरती इस महीने 24 दिनों में 10 बार भूगर्भीय हलचलों से हिली. किसी बड़े भूकंप की आशंका लगातार सता रही है. 25 जनवरी की रात फिर चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में भूकंप के झटके लगे तो लोग दहशत में आ गए और घरों से निकलकर भागे. झटकों की धमक ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून और उत्तरकाशी तक महसूस की गई.

पिथौरागढ़ में मंगलवार को आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 मापी गई. 25 जनवरी को ही दूसरे हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि पिथौरागढ़ की तुलना में देखें तो अरुणाचल में भूकंप की तीव्रता कम 3.9 थी. इतनी तीव्रता के चलते पड़ोसी राज्यों असम और नागालैंड तक भी झटके महसूस किए गए. यही नहीं, 25 जनवरी को उत्तर-प्रदेश के हापुड़ ज़िले में भी भूकंप महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.9 मापी गई. इसका असर उत्तराखंड के देहरादून, उत्तरकाशी, हरियाणा के कुरुक्षेत्र और यूपी के आगरा तक होने की आधिकारिक पुष्टि है.

न्यूज़18 इन्फोग्राफिक्स.

कहीं बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं?
भूकंप के लिहाज से वैज्ञानिकों ने देश को पांच ज़ोन में बांटा है, जिसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी भारत का पूरा इलाका, गुजरात का कच्छ, उत्तरी बिहार और अंडमान निकोबार ‘सीस्मिक ज़ोन-फाइव’ के हिस्से हैं. यानी इन इलाकों में कभी भी रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता का खतरनाक भूकंप आ सकता है. इससे जान-माल का भीषण नुकसान होना तय होगा. कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और विश्व प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक रहे प्रो. खड्ग सिंह वल्दिया द्वारा लिखी गई किताबें इस ओर साफ-साफ इशारा करती हैं.

उत्तराखंड में भूकंप का इतिहास क्या है?
दरअसल वैज्ञानिक 8.0 से ज्यादा तीव्रता के भूकंप को भयानक भूकंप की श्रेणी में रखते हैं. अनुमान है कि ऐसा भूकंप 600 साल पहले आया था. हालांकि साल 1803 में आया गढ़वाल भूकंप भयानक तबाही लेकर आया था, लेकिन इसकी तीव्रता का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. अगर 1803 में आए भूकंप को भी बड़ा भूकंप मान लिया जाए, तो भी इसे आए 200 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है.

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Tags: Earthquake, Himachal pradesh news, Uttarakhand news



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