जोधपुर. राजस्थान की जोधपुर पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने अंतर्राज्यीय (Inter-state) शातिर 2 वाहन चोरों को चोरी की 7 गाड़ियों के साथ गिरफ्तार किया है. ये चोर रणवीर कपूर की फिल्म ‘बेशर्म’ के अंदाज में आन डिमांड भी गाड़ियां चुराते थे. शातिर चोरों (Vehicles thieves) के विरुद्ध महाराष्ट्र, अहमदाबाद, राजस्थान (Rajasthan) में 40 से 45 मामले दर्ज हैं. शातिर चोर गाड़ी के लॉक तोड़ने, चाबी बनाने, स्टीकर बनाने, नम्बर प्लेट, कसने सहित अन्य तोड़ फोड़ के सभी उपकरण और फास्टटैग (Fast tag) साथ लेकर चलते थे,
पुलिस कमिश्नर जोस मोहन के निर्देश पर चोरी के वाहन रखने वालों की धरपकड़ के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई. कमिश्नरेट स्पेशल टीम (सी.एस.टी.) द्वारा चलाये जा रहे विशेष अभियान में काईम ब्रान्च प्रथम महाराष्ट्र के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए अन्तर्राज्यीय शातिर वाहन चोरों को गिरफ्तार किया गया हैं.
स्क्रैप गाड़ियों के चैसिस और इंजन नंबर चोरी की गाड़ियों पर
पुलिस के मुताबिक अपराधी भंवरदास उर्फ सैठजी का गाड़ी चुराने और जितेन्द्र द्वारा चोरी की गाड़ियों का हुलिया बदलने का तरीका बहुत शातिर है. जितेंद्र ने पुलिस को बताया कि गाड़ी के लॉक तोड़ने, चाबी बनाने, स्टीकर बनाने, नम्बर प्लेट कसने सहित अन्य तोड़ फोड़ के सभी उपकरण खुद अपने साथ बैग में रखता हूं. चोरी की हुई गाड़ियों को वर्कशॉप में ले जाकर उसपर लगे चैसीस और इंजन नम्बर को घिस देते हैं. फाईनेंस कम्पनियों के द्वारा ऑक्शन में खरीदी हुई गाड़ियों को स्क्रैप में डालकर उनके रजिस्ट्रेशन नम्बर, चैसीस नम्बर और इंजन नम्बर चोरी की गाड़ियों पर लगा देते है जिससे कि गाड़ियां प्रथम दृष्टया पकड़ में नहीं आ सकें.
रेकी के बाद फ्यूल टंकी का लॉक तोड़कर करते हैं चोरी
भंवरदास ने पुलिस को बताया कि चोरी की गाड़ी की डिमाण्ड आने पर जोधपुर से बस या ट्रेन से मुम्बई या अहमदाबाद जाता हूं. जाते वक्त लीगल गाड़ी की नम्बर प्लेट बैग में साथ लेकर जाता हूं. मुम्बई पहुंचने के बाद वह और अब्दुल दोनों मिलकर रेकी करते हैं. गाड़ी नजर आने पर जब लगता है कि गाड़ी एक ही स्थान पर लगातार 2-3 दिन से पड़ी है तो मौका देखकर पेचकस की सहायता से गाड़ी की फ्युल टंकी का लॉक तोडकर अपने साथ ले जाते हैं.
अपने साथ रखे औजारों की मदद से बना लेते डुप्लीकेट चाबी
इसके बाद वहां से थोड़ा दूर कहीं सुनसान जगह गाड़ी रोककर गाड़ी पर लगे नम्बर प्लेट खोलकर उसकी जगह साथ में रखी नम्बर प्लेट लगा देते हैं. गाड़ी की पहचान के चिन्ह जैसे स्टीकर, जाली, बम्पर नाम वगैरह हटा देते हैं. उसके बाद बैग में रखे जोधपुर मोटर्स, सीएनजी और अन्य स्टीकर लगा देते हैं जिससे गाड़ी की प्रथम दृष्टया पहचान नहीं हो सके. इसके बाद अपने साथ रखे औजारों से डुप्लीकेट चाबी बना लेते हैं. चूंकि फ्युल टंकी की चाबी व गाड़ी स्टार्ट करने वाली चाबी एक समान होती है. डुप्लीकेट चाबी से गाड़ी का लॉक खोलकर गाड़ी चुरा लेते हैं.
किसी भी टोल पर रुकना न पड़े इसलिए लगाते थे फास्ट टैग
उसने बताया कि उसके बाद गाड़ी के कांच के उपर मेरे खुद के अकाउन्ट का फास्ट टैग लगा देता हूं जिससे किसी भी टोल पर रूकना नहीं पड़े. फिर वहां से मैं और अब्दुल गाड़ी लेकर जोधपुर आ जाते है. जोधपुर आने के बाद गाडी डिमाण्ड की हुई पार्टी या जितेन्द्र को दे देते है. पार्टी को देने से पहले गाड़ी पर लगी नम्बर प्लेट, स्टीकर और फास्ट टैग हटा देते हैं. इस एवज में मुझे जो राशि मिलती है उसमें से बीस हजार रुपये प्रत्येक गाड़ी पर अब्दुल का हिस्सा था.
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