बलिया. रसड़ा विधानसभा सीट पर पिछले 20 साल से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कब्जा है. वर्तमान विधायक उमाशंकर सिंह बसपा विधानमंडल दल के नेता हैं. वह लगातार दो बार से जीत रहे हैं. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सिर्फ एक बार 1996 में जीती थी. समाजवादी पार्टी (सपा) का अब तक खाता नहीं खुला है. 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य कर दी गई, इससे पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. इस सीट पर दलित वोटरों का वर्चस्व है. मुस्लिम और यादव भी निर्णायक हैं.
रसड़ा विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था. उस चुनाव में दो विधायक चुने गए थे. एक अनुसूचित जाति से और दूसरा सामान्य जाति से. दोनों ने ही कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इस सीट पर सबसे अधिक छह बार कांग्रेस जीती है. आखिरी बार कांग्रेस के राम बचन ने 1989 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद दूसरे नंबर पर बसपा है, जिसने पांच बार इस सीट पर कब्जा किया है. 1993 में घूरा राम ने पहली बार इस सीट को बसपा की झोली में डाली थी. इसके बाद घूरा राम ने 2002 और 2007 में जीत दर्ज की थी. 2012 से उमाशंकर सिंह विधायक हैं.
2017 का परिणाम
उमाशंकर सिंह को 92272 वोट मिले थे. उन्होंने भाजपा के राम इकबाल सिंह को रिकॉर्ड 33887 वोट से हराया था. राम इकबाल को 58385 वोट मिले थे. 37006 वोट लेकर सपा के संतोष पांडेय तीसरे नंबर पर थे. 3.35 लाख वोटर वाली रसड़ा विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर करीब 90 हजार हैं. मुस्लिम 42 हजार, यादव 37 हजार, क्षत्रिय 33 हजार, वैश्य 15 हजार और ब्राह्मण वोटरों की संख्या लगभग 10 हजार है.
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